नलकापेट्टा के लोगों की सुरक्षा पर्यावरण संबंधित संघर्ष

 

प्रश्न०  इस मामले के  तथ्य क्या थे ? 

उ०  विजयवाड़ा के दक्षिण में 7 किलोमीटर दूर एक गांव नलकापेट्टा में बसे 350 हरिजन परिवार ने सशक्त कॉन्ट्रेक्टर के विरुद्ध पी. आई. एल. द्वारा संघर्ष जीत कर  विधि क्षेत्र में एक नया इतिहास कायम किया । इस  कॉन्ट्रेक्टर  ने  गांव के आसपास के इलाके में मिट्टी हटाने का लाइसेंस प्राप्त कर लिया था । पहले ही मिट्टी हटाने के कारण वहां काफी गड्ढे हो गए थे । जिसमें पानी भरने के कारण 2 बच्चों की जान जा चुकी थी । गांव वालों को यह एहसास हो गया था कि इससे उनकी जान को व उनकी अस्तित्व को खतरा हो सकता है । गांव वालों ने वहा साक्षरता सेंटर का कार्यरत्न सिस्टरस की मदद से सरकारी अधिकारियों से बात करने का निर्णय किया । तबसे  गरीब गांव वालों जो अपने गांव के संरक्षण के लिए तत्पर थे उनका कॉन्ट्रेक्टर जिसे पुलिस का सहयोग प्राप्त था तथा सरकार के विरुद्ध लंबा और दर्दनाक संघर्ष आरंभ हो गया । लोग खदान पर इकट्ठा होकर कॉन्ट्रेक्टर को कार्य आरंभ करने से रोकने लगे । कॉन्ट्रेक्टर के इशारे पर पुलिस ने बुरी तरह मारपीट शुरू कर दी । गांव वासियों की इस दशा को इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट के रूप में प्रकाशित किया । इस रिपोर्ट के आधार पर 1983 में उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दाखिल की गई ।

प्रश्न०  उच्चतम न्यायालय ने क्या निर्देश दिए ? 

उ०  उच्चतम न्यायालय ने स्थगन के आदेश जारी कर कॉन्ट्रेक्टर को आगे कार्य करने पर रोक लगा दी । एक विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति इस मामले की जांच पड़ताल के लिए  की गई । इसने जनवरी 1984 में अपनी रिपोर्ट पेश की, 21 जनवरी 1985 को उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला लोगों के पक्ष में सुनाया ।

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