दुर्घटना होने पर प्राथमिक उपचार देने का कर्तव्य
प्रश्न० चिकित्सा अपेक्षा के कारण मृत्यु को रोकने के लिए क्या चिकित्सा व्यवस्था के प्रत्येक सदस्य सरकारी या निजी का प्रथम महत्वपूर्ण कर्तव्य है कि वह प्रत्येक घायल व्यक्ति को जो उसके पास उपचार के लिए लाया जाता है उसे बिना प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं को पूर्ण किये प्राथमिक चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराएं ?
उत्तर० जी हां। ऐसा उच्चतम न्यायालय ने परमानंद कटारिया बनाम भारत राज्य संघ मैं कहा।
प्रश्न० यह मामला उच्चतम न्यायालय में किसने दायर किया ?
उ० याचक एक मानव अधिकार कार्यकर्ता था जो जनहित के लिए संघर्ष करता था।
प्रश्न० किस समाचार मुद्दे ने याचक को उच्चतम न्यायालय में यह रिट याचिका दायर करने के लिए मदद की ?
उ० याचक ने हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट " ला हेल्पड दाॅ इंजर्ड टू डाई " का सहारा लिया। कथित समाचार रिपोर्ट एक स्कूटर चालक की चलती कार से भिड़ने की दुर्घटना के विषय में थी उसे घायल खून से लथपथ अवस्था में देख सड़क पर चलते राहगीर ने उसे नजदीकी अस्पताल में ले गया । वहां मौजूद चिकित्सक ने घायल को देखने से मना कर दिया और कहा कि वह उसे 20 किलोमीटर दूर एक सरकारी अस्पताल में दिखाएं जो चिकित्सा विधि मामले देखने में सक्षम है । वाह पीड़ित को उस अस्पताल में लेकर गया परंतु वहां पहुंचने से पहले ही घायल ने दम तोड़ दिया ।
प्रश्न० उच्चतम न्यायालय ने क्या निर्णय दिया ?
न्यायालय ने कहा कि समुदाय में स्वास्थ्य अगुवाओं का यह कर्तव्य है कि वह जिंदगी को बचाए चाहे वह आम सीधे-साधे आदमी का जीवन हो या अपराधी का। समाज में कानून का गन्तब्य अपेक्षा या कानूनी औपचारिकताओं के कारण मृत्यु नहीं हो सकता ।
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