पिछौला के बंधुआ मजदूरों की मुक्ति का मामला


प्रश्न०  यह मामला किस प्रकार उच्चतम न्यायालय तक पहुंचा ? 

उ०  करीब 40 बंधुआ मजदूर जो भावनी जिले के पिछौला क्षेत्र में कार्यरत थे उन्होंने अपनी दुर्दशा बयान करते हुए उच्चतम न्यायालय में एक पत्र लिखा । उन्होंने लिखा हम भील आदिवासी है । बड़ी कठिनाई से हमें केवल तीन रुपए से ₹5 तक की मजदूरी दी जाती है जिससे केवल हमारे लिए भोजन ही जुट पता है। पीने का पानी तीन -चार दिन में एक ही बार दिया जाता है । हमारे झोपड़ियां उससे भी खराब हालत में है जहां जानवरों को रखा जाता है। हम यहां से अभी दूर जाना चाहते हैं पर हमारा मालिक तथा उसके गुंडे हमें कहते हैं कि हम तब तक यह अस्थान नहीं छोड़ सकते जब तक हम  2000/- रुपए से 8000/- रुपए प्रति परिवार के हिसाब से उनका चुका नहीं देते । हमारा मालिक कभी भी हमारी झोपड़ियों मैं घुसकर हमारी जवान बेटियों को प्रताड़ित कर उनके साथ मार पीट करते हैं कृपया हमें बचाइए  । बंधुआ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश ने यह पत्र उच्चतम न्यायालय के आगे प्रस्तुत किया।

प्रश्न०  उच्चतम न्यायालय ने इस पत्र याचिका पर क्या प्रतिक्रिया प्रकट की ?

उ०  न्यायमूर्ति पी. एन. भगवती के नेतृत्व में डिवीजन बेंच ने  इन मजदूरों की स्थिति की जांच कर कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दो कमिश्नरों को नियुक्त किया । इन कमिश्नर का खर्च कानूनी सहायता योजना की कार् न्वयन समिति द्वारा उठाया गया । कोर्ट द्वारा कुछ बंधुआ मजदूरों के समूह को उनके ठेकेदारों द्वारा मुक्त करने अंतरिम आदेश भी जारी किए गए ।

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