पर्यावरण की सुरक्षा तथा प्रदूषण संबंधी मामले
प्रश्न० रावण की सुरक्षा तथा प्रदूषण को रोकने के लिए लोक हित में कौन से मुकदमे दायर किए गए?
उ० 1) रूरल लिटिगेशन एंड एन्टाइलमेन्ट केंद्र बनाम यू.पी. राज्य सरकार (1985 2SCC 431) इस मामले में न्यायालय ने कुछ खदानों को बंद करने के निर्देश जारी किए क्योंकि इनमें सुरक्षा के मामले में गंभीर त्रुटियां पाई गई जो हानिकारक हो सकती थी ।
(2) श्रीराम फ़ूड एंड फर्टिलाइजर मामला ( देखें 1986 2SCC 176) इन लोकहित मुकदमे के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कंपनी को आदेश जारी किए कि वह हानिकारक पदार्थों तथा गैसों के निर्माण कार्य के लिए प्लांट लगाने के पहले सभी आवश्यक सुरक्षा उपायों को लागू करें जिससे मजदूरों तथा आसपास रहने वाले लोगों के स्वास तथा जीवन को खतरे से बचाया जा सके । न्यायालय को यह बताया गया कि प्रबंधकों की लापरवाही के कारण उसके एक यूनिट से ओलियम गैस निकलने से एक मजदूर की जान चली गई और अन्य काफी लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा । प्रबंधन को यह आदेश दिया गया कि वह प्लांट को लगाने के पहले न्यायालय के रजिस्ट्रार के पास 20 लाख रुपए की राशि जमा कराएं जिससे ओलियम गैस पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए ।
(3) टेनरीस द्वारा गंगा के जल का प्रदूषण का मामला
एम. सी. मेहता बनाम भारत राज्य संघ ( देखें 1987 (4SCC 463) इस लोक हित मुकदमे में एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष कानपुर के निकट जैमन में टैन्नरी द्वारा गंगा नदी के प्रदूषण का मामला लाया गया । न्यायालय ने कहा कि जल( प्रदूषण रोकथाम व नियंत्रण) अधिनियम तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में विस्तृत प्रावधान होने के बावजूद भी सरकार ने टेन्नरियो द्वारा प्रदूषण को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं । न्यायालय ने कहा कि इस परिस्थितियों में टेन्नरियो को बंद करने का आदेश ही उचित होगा जब तक वह टीटमैन्ट प्लांट लगाने के लिए उपयुक्त कदम नहीं उठाते ।
(4)डेयरियो द्वारा गंगा के पानी का प्रदूषण
श्री एम. सी. मेहता जो एक अधिवक्ता हैं उन्हें उच्चतम न्यायालय में एक गंगा नदी के पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए एक लोक हित मुकदमा दायर किया और न्यायालय से आवेदन किया कि वह गंगा के प्रदूषण को रोकने के लिए आदेश जारी करें । उन्होंने कहा कि सरकार पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए कानून के उपबंधों को लागू करने में विफल हो चुकी है । उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हलाकि याचिका गंगा नदी के किनारे नहीं रह रहा है फिर भी वह गंगा नदी के निकट रहने वाले व्यक्तियों के विषय में सिंचित है जो गंगा के पानी का प्रयोग करते हैं इसी कारण व कानूनी उपलब्धियों के लागू करने के लिए न्यायालय के समक्ष आवेदन करने के लिए समक्ष है । गंगा नदी के प्रदूषण द्वारा जो परेशानी होती है उससे काफी लोग प्रभावित होते हैं। इसीलिए कोई भी व्यक्ति सारे समुदाय के हित को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही आरंभ कर सकता है।
प्रश्न० कानपुर नगर महापालिका के मामले न्यायालय ने क्या निर्देश दिए ?
उ० न्यायालय ने कानपुर नगर महापालिका को आदेश दिया है कि वह
(1) जल प्रदूषण के सुचारू रोकथाम व नियंत्रण के लिए 6 माह के भीतर जल अधिनियम के अंतर्गत बने बोर्ड के समक्ष अपने कार्यवन्वयन नीति रखें:
(2) डेरियों को शहर के बाहर स्थानांतरित करें :
(3) डेयरियो द्वारा निकाले पदार्थों के निष्कासन के लिए प्रबंध करें जिससे वह गंगा नदी में ना जा पाए:
(4) निष्कासन के लिए सुचारू तथा प्रभावित प्रयास किए जाएं:
(5) गरीबों के लिए निशुल्क शौचालय का निर्माण किया जाए:
(6) यह सुनिश्चित करें कि मृत- शव तथा आधे जले हुए शव गंगा नदी में ना बहाए जाए:
(7) जो वायु प्रदूषण फैलाती हो उसके विरूद्ध सख्त कदम उठाए जाऐ:
(8) नई इकाइयों को तभी लाइसेंस दिया जाना चाहिए जब वह फैक्ट्री से बाहर निकलने वाली पदार्थों के उपचार के लिए उपयुक्त प्रबंध कर ले:
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