बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास का मामला


प्रश्न०  पत्रकारों द्वारा क्या शिकायत की गई? 

उ०  नीरज चौधरी बनाम मध्यप्रदेश राज्य सरकार(SCC १९८४ vol 3P 243)  के मामले में एक पत्रकार द्वारा एक पत्र के रूप में उच्चतम न्यायालय के समक्ष 135 बंधुआ मजदूरों संबंधित रिट याचिका में शिकायत दर्ज की । इसमें बंधुआ मजदूरों उन्मूलन अधिनियम 1976 के अंतर्गत जो मजदूर फरीदाबाद स्थित पत्थर की खानों में कार्य कर रहे थे उन्हें उच्चतम न्यायालय ने आदेश जारी कर उन्हें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के वादे पर मुक्त कर वापिस  लाया गया। पर उनके मुक्त होने की 6 माह पश्चात भी यह पाया गया कि उनका पुनर्वास नहीं हो पाया और अभी भी वह गरीबी की हालत में दयनीय स्थिति में रह रहे थे ।

प्रश्न०  बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास के संबंध में कोर्ट ने क्या कहा ?

उ०  बंधुआ मजदूरों अधिनियम के प्रवर्तन  के संबंध में उच्चतम न्यायालय ने मध्यप्रदेश सरकार को उचित निर्देश देते हुए यह कहा, संविधान के अनुच्छेद 21 व 23 की साधारण आवश्यकताओं के अनुसार बंधुआ मजदूरों की पहचान व उनकी मुक्ति आवश्यक है और मुक्त होने के पश्चात उनका उपयुक्त पुनर्वास करना आवश्यक है बिना उचित पुनर्वास के गुलामी से मुक्त अधिनियम का सारा प्रयोजन नष्ट कर देती है इस प्रकार मुक्त हुए मजदूर वापस  गुलामी की ओर  अपनी दो जून की  रोटी जुटाने के लिए जा सकते हैं ।

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