क्या कोई व्यक्ति अनुच्छेद 32 के तहत लोक हित मुकदमा दायर करते समय सभी विहित प्रतिक्रियाओं और औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए वाद्य है?
प्रश्न० क्या कोई व्यक्ति अनुच्छेद 32 के तहत लोक हित मुकदमा दायर करते समय सभी विहित प्रतिक्रियाओं और औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए वाद्य है?
उ०- जी नहीं | उच्चतम न्यायालय के अनुसार न्यायिक प्रक्रिया न्याय तक पहुंचने का रास्ता है और प्रक्रिया से संबंधित तकनीकों के कारण न्याय प्राप्त करने से रोका नहीं जा सकता | यह सत्य है कि अनुच्छेद 32 के तहत राहत पाने के लिए इस न्यायालय ने कुछ नियम बनाए हैं जिसमें इस न्यायालय से राहत पाने की प्रक्रिया भी विहित है तथा किसी भी व्यक्ति के लिए कोर्ट तक पहुंचने के लिए विभिन्न औपचारिकताएं भी विहित है | पर यह नहीं भूलना चाहिए की प्रक्रिया न्याय पाने का एक जरिया है और तकनीकी क्रियाओं के कारण न्याय का गला नहीं घोटा जा सकता है | यह कोर्ट बिना किसी हिचक के और अन्तः कारण पर थोड़ी भी आशंका प्रकट किए बिना प्रक्रिया के तकनीकी नियमों पर बल न देते हुए न्याय दिखाने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए लोक हितैषी व्यक्तियों के पत्रों को रिट याचिका मानते हुए उस पर कदम उठाया जा सकता है |
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