Section 27 Arbitration and Conciliation Act, 1996
Section 27 Arbitration and Conciliation Act, 1996:
Court assistance in taking evidence.—
(1) The arbitral tribunal, or a party with the approval of the arbitral tribunal, may apply to the Court for assistance in taking evidence.
(2) The application shall specify—
(a) the names and addresses of the parties and the arbitrators;
(b) the general nature of the claim and the relief sought;
(c) the evidence to be obtained, in particular,—
(i) the name and address of any person to be heard as witness or expert witness and a statement of the subject-matter of the testimony required;
(ii) the description of any document to be produced or property to be inspected.
(3) The Court may, within its competence and according to its rules on taking evidence, execute the request by ordering that the evidence be provided directly to the arbitral tribunal.
(4) The Court may, while making an order under sub-section (3), issue the same processes to witnesses as it may issue in suits tried before it.
(5) Persons failing to attend in accordance with such process, or making any other default, or refusing to give their evidence, or guilty of any contempt to the arbitral tribunal during the conduct of arbitral proceedings, shall be subject to the like disadvantages, penalties and punishments by order of the Court on the representation of the arbitral tribunal as they would incur for the like offences in suits tried before the Court.
(6) In this section the expression “Processes” includes summonses and commissions for the examination of witnesses and summonses to produce documents.
Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 27 Arbitration and Conciliation Act, 1996:
Suresh Dhanuka vs Sunita Mohapatra on 2 December, 2011
Suresh Dhanuka vs Sunita Mohapatra on 2 December, 2011
Sanshin Chemicals Industry vs Orientals Carbons And Chemicals on 16 February, 2001
Visa International Ltd vs Continental Resources (Usa)Ltd on 2 December, 2008
Sime Darby Engineering Sdn,Bhd vs Engineers India Ltd on 22 July, 2009
माध्यस्थम् और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 27 का विवरण :
साक्ष्य लेने में न्यायालय की सहायता-(1) माध्यस्थम् अधिकरण या माध्यस्थम् अधिकरण के अनुमोदन से कोई पक्षकार, साक्ष्य लेने में सहायता के लिए न्यायालय को आवेदन कर सकेगा ।
(2) आवेदन में निम्नलिखित विनिर्दिष्ट होगा-
(क) पक्षकारों और मध्यस्थों के नाम और पते ;
(ख) दावे की साधारण प्रकृति और मांगा गया अनुतोष ;
(ग) अभिप्राप्त किया जाने वाला साक्ष्य, विशिष्टत :-
(i) साक्षी या विशेषज्ञ साक्षी के रूप में सुने जाने वाले किसी व्यक्ति का नाम और पता और अपेक्षित परिसाक्ष्य की विषय-वस्तु का कथन ;
(ii) प्रस्तुत किए जाने वाले किसी दस्तावेज और निरीक्षण की जाने वाली संपत्ति का वर्णन ।
(3) न्यायालय, अपनी सक्षमता के भीतर और साक्ष्य लेने संबंधी अपने नियमों के अनुसार, यह आदेश देकर अनुरोध का निष्पादन कर सकेगा कि साक्ष्य सीधे माध्यस्थम् अधिकरण को दी जाए ।
(4) न्यायालय, उपधारा (3) के अधीन कोई आदेश करते समय, साक्षियों को वैसी ही आदेशिकाएं जारी कर सकेगा जो वह अपने समक्ष विचारण किए जाने वाले वादों में जारी कर सकता है ।
(5) ऐसी आदेशिका के अनुसार हाजिर होने में असफल रहने वाले, या कोई अन्य व्यतिक्रम करने वाले या अपना साक्ष्य देने से इन्कार करने वाले वाले या माध्यस्थम् कार्यवाहियों के संचालन के दौरान माध्यस्थम् अधिकरण के किसी अवमान के दोषी व्यक्ति, माध्यस्थम् अधिकरण के व्यपदेशन पर न्यायालय के आदेश द्वारा वैसे ही अलाभों, शास्तियों और दण्डों के अधीन होंगे जैसे वे न्यायालय के समक्ष विचारण किए गए वादों में वैसे ही अपराधों के लिए उपगत करते ।
(6) इस धारा में आदेशिका" पद के अन्तर्गत साक्षियों की परीक्षा किए जाने के लिए समन और कमीशन और दस्तावेज पेश करने के लिए समन भी है ।
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