Section 47 Arbitration and Conciliation Act, 1996
Section 47 Arbitration and Conciliation Act, 1996:
Evidence.—
(1) The party applying for the enforcement of a foreign award shall, at the time of the application, produce before the court—
(a) the original award or a copy thereof, duly authenticated in the manner required by the law of the country in which it was made;
(b) the original agreement for arbitration or a duly certified copy thereof; and
(c) such evidence as may be necessary to prove that the award is a foreign award.
(2) If the award or agreement to be produced under sub-section (1) is in a foreign language, the party seeking to enforce the award shall produce a translation into English certified as correct by a diplomatic or consular agent of the country to which that party belongs or certified as correct in such other manner as may be sufficient according to the law in force in India. Explanation.—In this section and all the following sections of this Chapter, “Court” means the principal Civil Court of original jurisdiction in a district, and includes the High Court in exercise of its ordinary original civil jurisdiction, having jurisdiction over the subject-matter of the award if the same had been the subject-matter of a suit, but does not include any civil court of a grade inferior to such principal Civil Court, or any Court of Small Causes.
Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 47 Arbitration and Conciliation Act, 1996:
M/S Shriram Epc Limited vs Rioglass Solar Sa on 13 September, 2018
P.E.C. Limited Through Its vs Austbulk Shipping Sdn Bhd on 14 November, 2018
Sundaram Finance Ltd. vs Abdul Samad on 15 February, 2018
Vaishno Devi Construction Rep. vs Union Of India on 21 October, 2021
माध्यस्थम् और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 47 का विवरण :
साक्ष्य-(1) वह पक्षकार जो किसी विदेशी पंचाट के प्रवर्तन के लिए आवेदन कर रहा है, आवेदन के समय न्यायालय के समक्ष,-
(क) मूल पंचाट या उसकी प्रति, जो उस रीति से सम्यक्तः अधिप्रमाणित होगी, जो उस देश की, जिसमें उसे किया गया था, विधि द्वारा अपेक्षित है ;
(ख) माध्यस्थम् के लिए किया गया मूल करार या उसकी सम्यक्तः प्रमाणित प्रति ; और
(ग) ऐसा साक्ष्य, जो यह साबित करने के लिए आवश्यक हो कि पंचाट विदेशी पंचाट है,प्रस्तुत करेगा ।
(2) यदि उपधारा (1) के अधीन पेश किए जाने के लिए अपेक्षित पंचाट या करार विदेशी भाषा में है, तो पंचाट का प्रवर्तन चाहने वाला पक्षकार अंग्रेजी भाषा में उसका अनुवाद पेश करेगा जो उस देश के, जिसका कि वह निवासी है, राजनयिक या कौंसलीय अभिकर्ता द्वारा सही प्रमाणित होगा या वह ऐसी अन्य रीति से सही प्रमाणित होगा जो भारत में प्रवृत्त विधि के अनुसार पर्याप्त हो ।
स्पष्टीकरण-इस धारा में और इस अध्याय की निम्नलिखित सभी धाराओं में, न्यायालय" से किसी जिले में आरंभिक अधिकारिता वाला प्रधान सिविल न्यायालय अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत अपनी मामूली आरंभिक सिविल अधिकारिता का प्रयोग करने वाला ऐसा उच्च न्यायालय भी है जो पंचाट की विषय-वस्तु होने वाले प्रश्नों का यदि वे वाद की विषय-वस्तु होते तो, विनिश्चय करने की अधिकारिता रखता, किन्तु ऐसे प्रधान सिविल न्यायालय से निम्न श्रेणी का कोई सिविल न्यायालय या कोई लघुवाद न्यायालय इसके अन्तर्गत नहीं आता है ।
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