Section 33 Arbitration and Conciliation Act, 1996
Section 33 Arbitration and Conciliation Act, 1996:
Correction and interpretation of award; additional award.—
(1) Within thirty days from the receipt of the arbitral award, unless another period of time has been agreed upon by the parties—
(a) a party, with notice to the other party, may request the arbitral tribunal to correct any computation errors, any clerical or typographical errors or any other errors of a similar nature occurring in the award;
(b) if so agreed by the parties, a party, with notice to the other party, may request the arbitral tribunal to give an interpretation of a specific point or part of the award.
(2) If the arbitral tribunal considers the request made under sub-section (1) to be justified, it shall make the correction or give the interpretation within thirty days from the receipt of the request and the interpretation shall form part of the arbitral award.
(3) The arbitral tribunal may correct any error of the type referred to in clause (a) of sub-section (1), on its own initiative, within thirty days from the date of the arbitral award.
(4) Unless otherwise agreed by the parties, a party with notice to the other party, may request, within thirty days from the receipt of the arbitral award, the arbitral tribunal to make an additional arbitral award as to claims presented in the arbitral proceedings but omitted from the arbitral award.
(5) If the arbitral tribunal considers the request made under sub-section (4) to be justified, it shall make the additional arbitral award within sixty days from the receipt of such request.
(6) The arbitral tribunal may extend, if necessary, the period of time within which it shall make a correction, give an interpretation or make an additional arbitral award under sub-section (2) or sub-section (5).
(7) Section 31 shall apply to a correction or interpretation of the arbitral award or to an additional arbitral award made under this section.
Supreme Court of India Important Judgments And Leading Case Law Related to Section 33 Arbitration and Conciliation Act, 1996:
State Of Maharashtra & Ors vs M/S. Ark Builders Pvt.Ltd on 28 February, 2011
Dakshin Haryana Bijli Vitran vs M/S Navigant Technologies Pvt. on 2 March, 2021
Tata Consultancy Services vs Vishal Ghisulal Jain on 23 November, 2021
माध्यस्थम् और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 33 का विवरण :
पंचाट का सुधार और निर्वचन, अतिरिक्त पंचाट-(1) जब तक कि पक्षकार अन्य समयाविधि के लिए सहमत न हुए हों, माध्यस्थम् पंचाट की प्राप्ति से तीस दिन के भीतर,-
(क) कोई पक्षकार, दूसरे पक्षकार को सूचना देकर, माध्यस्थम् पंचाट में हुई किसी संगणना की गलती, किसी लिपिकीय या टंकण संबंधी या उसी प्रकृति की किसी अन्य गलती का सुधार करने के लिए माध्यस्थम् अधिकरण से अनुरोध कर सकेगा, और
(ख) यदि पक्षकार इसके लिए सहमत हों तो कोई पक्षकार, दूसरे पक्षकार को सूचना देकर, पंचाट की किसी विनिर्दिष्ट बात या भाग का निर्वचन करने के लिए, माध्यस्थम् अधिकरण से अनुरोध कर सकेगा ।
(2) यदि माध्यस्थम् अधिकरण, उपधारा (1) के अधीन किए गए अनुरोध को न्यायसंगत समझता है तो वह, अनुरोध की प्राप्ति से तीस दिन के भीतर सुधार करेगा या निर्वचन करेगा और ऐसा निर्वचन माध्यस्थम् पंचाट का भाग होगा ।
(3) माध्यस्थम् अधिकरण, स्वप्रेरणा पर, उपधारा (1) के खंड (क) में निर्दिष्ट प्रकार की किसी गलती को, माध्यस्थम् पंचाट की तारीख से तीस दिन के भीतर सुधार सकेगा ।
(4) जब तक कि पक्षकारों ने अन्यथा करार न किया हो, एक पक्षकार, दूसरे पक्षकार को सूचना देकर, माध्यस्थम् पंचाट की प्राप्ति से तीस दिन के भीतर माध्यस्थम् कार्यवाहियों में प्रस्तुत किए गए उन दावों की बाबत जिन पर माध्यस्थम् पंचाट में लोप हो गया है, एक अतिरिक्त माध्यस्थम् पंचाट देने के लिए माध्यस्थम् अधिकरण से अनुरोध कर सकेगा ।
(5) यदि माध्यस्थम् अधिकरण, उपधारा (4) के अधीन किए गए किसी अनुरोध को न्यायसंगत समझता है, तो वह ऐसे अनुरोध की प्राप्ति से साठ दिन के भीतर, अतिरिक्त माध्यस्थम् पंचाट देगा ।
(6) माध्यस्थम् अधिकरण, यदि आवश्यक हो तो, उस समयावधि को बढ़ा सकेगा जिसके भीतर वह उपधारा (2) या उपधारा (5) के अधीन सुधार करेगा, निर्वचन करेगा या अतिरिक्त पंचाट देगा ।
(7) धारा 31, इस धारा के अधीन किए गए माध्यस्थम् पंचाट के सुधार या निर्वचन या अतिरिक्त माध्यस्थम् पंचाट को, लागू होगी ।
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