भारतीय संविधान की 9 वीं अनुसूची

 26 जनवरी 1950 जब भारत एक गणतंत्र बना उस समय भारत के संविधान में 395 अनुछेद तथा 8 अनुसूचियाँ थी।  मुश्किल से एक साल बिता था की सुप्रीम कोर्ट तथा उच्च न्यायालयों के कुछ फैसलों के चलते तत्कालीन नेहरू सरकार को भारतीय संविधान में बदलाव की जरुरत महसूस हुई।  1951 में पहला संविधान संशोधन हुआ जिसमे भारतीय संविधान के कुछ अनुच्छेदों में बदलाव किया गया तथा साथ ही 9वीं अनुसूची भी भारत के संविधान में जोड़ी गई।   9वीं अनुसूची एक ऐसी व्यवस्था थी जिसके द्वारा नेहरू सरकार ने भारतीय न्यायालयों को ऐसे मामलों की सुनवाई से वंचित कर दिया जो 9वीं अनुसूची में रख दिए गए हों।  इस तरह से शुरुआत हुई 9वीं अनुसूची की जिसमे शुरुआत में जमींदारी उन्मूलन से सम्बंधित कानून रखे गए बाद में सरकारों ने उन कानूनों को भी 9वीं अनुसूची का बचाव प्रदान किया जिनका कृषि या जमींदारी उन्मूलन से कुछ लेना देना नहीं था।  हालाँकि 1973 के केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के महत्वपूर्ण केस में सर्वोच्च नयायलय ने ये कहा की संविधान की मूल सरंचना में बदलाव नहीं किया जा सकता । बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा की न्यायिक समीक्षा संविधान की मूल सरंचना का हिस्सा है।  सुप्रीम कोर्ट ने नागराज के केस में यह भी कहा की 9वीं अनुसूची में रखे गए कानूनों की भी न्यायिक समीक्षा की जा सकती है। 


आजकल 9वीं अनुसूची इसलिए चर्चा में है क्योंकि शेतकरी संगठन के प्रधान अनिल घनावत का कहना है की भारत के संविधान की नवीं अनुसूची किसानों के साथ धोखा है तथा इसे संविधान से हटा दिया जाना चाहिए।  शेतकरी संगठन महाराष्ट्र के किसानों का सबसे बड़ा संगठन है।  इनका कहना है की सरकार ऐसे कानून जो किसानों के हित में नहीं है उन्हें 9वीं अनुसूची में रख देती है जिसके चलते किसानों को नुकसान होता है।  ये आने वाले दिनों में ही पता चलेगा की 9वीं अनुसूची का क्या होगा ? हालाँकि केशवानंद भारती केस तथा नागराज केस के बाद 9वीं अनुसूची का बहुत ज्यादा महत्व नहीं बचा है।  न्यायिक समीक्षा के चलते नए कानून जब भी 9वीं सूचि में रखे जाते हैं तो सुप्रीम कोर्ट की जाँच से भी गुजरना पड़ता है। 

Comments

Popular posts from this blog

भारतीय संविधान से संबंधित 100 महत्वपूर्ण प्रश्न उतर

100 Questions on Indian Constitution for UPSC 2020 Pre Exam

संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख | Characteristics of the Constitution of India