गिरफ्तारी और जमानत

 गिरफ्तारी और जमानत

पुलिस द्वारा जब किसी व्यक्ति को अपने अधिकार में अथवा कब्जे में ले लिया जाता है तो उसे गिरफ्तारी कहा जाता है| गिरफ्तारी का कानूनी अर्थ भी यही है| इस दृष्टि से आवश्यक नहीं कि पुलिस ही बरन एक सामान्य नागरिक भी किसी संज्ञेय अथवा ऐसे अपराध के अपराधी को जो और जमानत किए हैं अपने अधिकार अथवा कब्जे में ले सकता है|

यह गिरफ्तारी दो प्रकार से की जाती है| पहली वारंट के साथ दूसरी बिना वारंट के  | इस विषय में संज्ञेय तथा गंभीर  अपराधों के लिए बिना वारंट की गिरफ्तारी हो सकती है|

गिरफ्तारी के संबंध में जो बिना वारंट गिरफ्तार की कानूनी स्थिति है उसे इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है_

1, यदि कोई व्यक्ति किसी  संज्ञेय  अपराध में जुड़ा रहता है या फिर इसी प्रकार के अपराध लिए जो गंभीर खतरनाक संगीन जुर्म थे उस पर केस चला हो|

2, बिना वारंट गिरफ्तारी उस व्यक्ति की भी हो सकती है जो हिरासत से निकल धागा हो अथवाउसके पास अवैध शस्त्र औजार रखा पाया गया हो|

3, पुलिस कार्य में बाधा डालने वाले व्यक्ति को भी बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है| किसके साथ ही विदेश में ऐसा अपराध करने वाला भी बिना वारंट के ही गिरफ्तार हो सकता है जो भारत में अपराध हो| इसके अतिरिक्त भारत में सत्यापन संधि के अंतर्गत वाछित अपराधी जिसे हिरासत में लिया जाना हो अथवा ऐसे व्यक्ति जिस पर संदेह हो कि वह न्यायालय अभिरक्षा के लिए जाने योग्य है, बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है|

4, धारा 356 की अपराध 5 के अधीन कानून को तोड़ने वाला भी बिना वारंट गिरफ्तार किए जाने योग होता है|

5, पुलिस की उपस्थिति में  संज्ञेय अपराध करने वाला व्यक्ति तथा पुलिस के नाम  - पत्ते के विषय में गलत सूचना देने वाला भी गिरफ्तार किया जा सकता है| यह गिरफ्तारी अपराध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 43 के अंतर्गत हो सकती है|

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