परिसंघ प्रणाली - What is Federal System in Hindi

परिसंघ प्रणाली / Federal System

परिसंघ की कोई ऐसी परिभाषा नहीं है जिस पर सभी लोग सहमत हैं| अमेरिका का संविधान परिषदीय संविधान में सबसे पुराना है इसीलिए विद्वान उसे परिषद का आदर्श और सर्वोत्तम उदाहरण मानते  थे| किंतु अब इस पर पुनः विचार हुआ है| विद्वानों का यह मत है कि कोई राज्य परिसंघीय है या ऐकिक  जब उसके लक्षणों के आधार पर निर्णय किया जाना चाहिए| यह देखना होगा कि उसमें परिसंघ के कितने लक्षण हैं| यह भी कहा गया है कि परिसंघ एक व्यावहारिक संकल्प है संस्थानिक नहीं है| कोई भी सिद्धांत जो इस बात पर बल देता है कि कुछ ऐसे अटल लक्षण हैं जिनके बिना कोई राज्य प्रणाली परिसंघ नहीं हो सकती इस तथ्य की उपेक्षा करता है कि विभिन्न सामाजिक परिवेश में संस्थाएं एक सी नहीं हो सकती | डॉक्टर दुर्गादास बसु ने बहुत ही व्यवहारिक दृष्टिकोण से यह कहा है कि संविधाना तो शुद्धतय परिषदीय है और ना ही शुद्ध रूप से ऐकिक | किंतु यह दोनों का संयोजन है| यह एक नए प्रकार का संघ या मिश्रित राज्य है| डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को जो संविधान सभा के सदस्य और उसके प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे संविधान की परीसंघीय प्रकृति के बारे में कोई शंका नहीं थी| उन्होंने संविधान सभा में यह कहा- ( परिसंघ का आधारभूत सिद्धांत किया है कि संविधान द्वारा विधाई और कार्यपालिका शक्तियों को केंद्र और राज्य के बीच विभाजित किया जाता है| केंद्र द्वारा बनाई गई विधि से नहीं बल्कि स्वयं संविधान द्वारा... पर्सन का मुख्य लक्षण विदाई और कार्यपालिका शक्तियों का संविधान द्वारा केंद्र और इकाइयों में विभाजन है| यह सिद्धांत हमारे  संविधान में समाविष्ट है| इसके बारे में शंका करने का कोई स्थान नहीं है|) 

प्रो.के.सी. वेयर ने यह कहा था कि हमारा संविधान ऐकिक राजू बनाता है जिसमें कुछ अनुषंगी परिसंघीय लक्षण हैं| किंतु बाद में उन्होंने अपनी राय बदल दी और हमारे संविधान को परिसंघीय  कल्प की संज्ञा दी| ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीयों ने व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया| किसी सिद्धांत से बंधे रहना उचित नहीं समझा| डॉक्टर अंबेडकर ने संविधान सभा में अपने भाषण में या कहा था कि यह संविधान काल और परिस्थितियों की अपेक्षा अनुसार ऐकिक और परिसंघ दोनों है| उच्चतम न्यायालय ने ऑटोमोबाइल ट्रांसपोर्ट में हमारे संविधान को परिसंघीय  बताया है| केशवानंद में कुछ न्यायाधीशों ने परिसंघ को संविधान का आधारिक लक्षण माना| मुंबई में 9 न्यायाधीशों की पीठ ने स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है कि हमारा संविधान परिसंघीय है| इस बात में कुछ न्यायाधीशों ने यह माना है कि परिसंघ संविधान का आधारित लक्षण है| कुलदीप नैय्यर में संवैधानिक पीठ ने यह कहा कि परिषद हमारे संविधान का आधारित लक्षण है| राजमन्नार समिति ने जिसे तमिलनाडु ने नियुक्त किया था और उसने अपना प्रतिवेदन 1971 में दिया भारत को परिसंघ माना| चीन सरकार द्वारा 1983 मैं गठित सरकारी आयोग योग ने भी भारतीय संविधान को परिसंघय बताया यदि यह भी कहा कि या शास्त्रीय ढंग का परिसंघ नहीं है क्योंकि यह राज्यों के सम्मिलन का परिणाम नहीं है  जैसा कि अमेरिका में हुआ था| इस प्रकार हम देखते हैं कि अधिकांश विचारों के मत इस बात के पक्ष में है कि भारत का संविधान परिसंघीय है| यह माना कि अमेरिकी संविधान एक मात्र दर्शन है  और सभी बातों में उसका अनुसरण किया जाना चाहिए धूम है, बुद्धिमानी नहीं है|

यह साधारणतया माना जाता है कि परिसंघ में सरकार के कृत्यों में केंद्र या परिसंघ की सरकार और राज्यों की  सरकारों की सहभागिता होती है| ये दोनों सरकारें एक-दूसरे के समानांतर   और एक दूसरे से स्वतंत्र होती हैं| कोई भी सरकार दूसरे की अभिकर्ता या प्रतियोगी नहीं होती| दोनों की शक्तियों का एक ही स्रोत होता है अर्थात संविधान| कोई भी सरकार दूसरी के अधीनस्थ नहीं होती| इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि सरकार के एक दूसरे से स्वतंत्र दो केंद्र बिंदु परिसंघ का सारतत्व है| किंतु जैसा ऊपर कहा गया है कि यह कहना बुद्धिमता पूर्ण नहीं होगा कि दोनों का इस प्रकार अस्तित्व में होना इस बात की कसौटी है कि कोई संविधान परिसंघीय है या नहीं| हमें सभी परिसंघीय संविधान में वे लक्ष्मण ढूंढने चाहिए जो सामान्य है| जीवन में लिटमस परीक्षण न तो वांछनीय है न संभव| यही बात विधि में लागू होती है| काले और सफेद रंगों के बीच अनेक प्रकार के रूप होते हैं|

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