Must know Legal Rights for Every Indian in Hindi | कानून प्रदत्त अधिकारों को जाने

Must know Legal Rights for Every Indian in Hindi

 कानून प्रदत्त अधिकारों को जाने

भारत सरकार अपने देश के प्रत्येक नागरिक को कानूनी रूप से अनेक अधिकार दिए  हैं जिनकी जानकारी होना आवश्यक है| नीचे कुछ महत्वपूर्ण कानूनी अधिकारों की जानकारी दी जा रही है-

1. भारतीय कानून में नागरिक को सम्मान पूर्वक जीवन  निर्वाहन का अधिकार है| प्रत्येक    नागरिक को बिना किसी भेदभाव के समान रूप से कानूनी संरक्षण प्रदान किया गया है| एक नागरिक को आजीविका कमाने का अधिकार है|

2 कानून में प्रत्येक नागरिक को न्यायालय में अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अधिकार प्रदान किया गया है|

3 कानूनी सहायता के( विधिक हकदार) नागरिकों को अपनी सुरक्षा के लिए  निशुल्क  वकील की सेवाएं सरकारी खर्च पर प्राप्त करने का अधिकार है|

4 अपने साथ हुए जुर्म अन्याय और अधिकार समाप्ति के विरुद्ध व्यक्ति को पुलिस मैं एफ.आई.आर. दर्ज करवाने का कानूनी अधिकार है|

5 लोक हित से जुड़े मामलों के लिए कोई भी व्यक्ति उच्चतम न्यायालय में अपनी शिकायत लिखित रूप में डाक से प्रेषित कर सकता है|

6 सार्वजनिक स्थानों पर अवरोध के विरुद्ध व्यक्ति कार्यकारी मजिस्ट्रेट एवं जिला मजिस्ट्रेट के पास परिवेश दर्ज करवा सकता है|

7 यदि जमानतीय मामले में व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है तो वह जमानत अधिकार की मांग कर सकता है इसके लिए जमानत पर रिहाई का कानूनी प्रावधान है|

8 गिरफ्तार किया गया व्यक्ति न्यायालय साक्षर के लिए अपनी शारीरिक परीक्षा करवा सकता है|

9 प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन रक्षा का अधिकार है स्वयं का जीवन बचाने के लिए व्यक्ति हमलावर या हमलावरों के विरुद्ध संघर्ष करने का विधिक  अधिकार रखता है |

10 गर्भवती स्त्री को मृत्युदंड नहीं दिया जा सकता है| इसके लिए  दण्डादेश को स्थगित करवाने का अधिकार प्रदान किया गया है|

11 प्रत्येक व्यक्ति को एफ.आई.आर.की निशुल्क प्रति प्राप्त करने का  विधिकं अधिकार प्राप्त है|

12 मृत्युदंड के विरोध यदि अनुज्ञात अवधि में अपील की गई है तो मृत्युदंड की अपील को निअपराध होने तक स्थगित रखे जाने का प्रावधान है|

13 किसी भी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए दो बार दंडित नहीं किया जा सकता यदि अपराध दोहराया ना गया हो|

14 प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह अपनी गिरफ्तारी के कारणों को जान सके|

15 बिना वारंट गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को पुलिस 24 घंटे से अधिक समय तक गिरफ्तार कर नहीं रख सकती|

16 अभियुक्त को कारावास की सजा होने पर वह न्यायालय के निर्णय की प्रति निशुल्क प्राप्त कर सकती है|

17 पुलिस द्वारा गिरफ्तार व्यक्ति यदि 24 घंटों में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश नहीं किया जाता तो वह अपनी रिहाई के लिए बंदी प्रतिक्षित करण रीट का प्रयोग कर सकता है|

18 जेल  मैन्युअल के अनुसार कैदी व्यक्ति प्रत्येक मंगलवार या गुरुवार को प्रत्येक दिवस में दो व्यक्तियों से मुलाकात कर सकता है| वकील या वकीलों से मिलने के संबंध में उन्हें यह अधिकार है कि वह जब चाहे और जितनी बार चाहे अपने( कैदी)  मुवक्किल से मुलाकात कर सकते हैं  |

19 व्यक्ति से उनकी मर्जी के विरुद्ध श्रम नहीं करवाया जा सकता चाहे पारिश्रमिक दे दिया गया हो|

20 जेल में बंद कैदियों को भी श्रम के बदले मजदूरी दिए जाने का प्रावधान है जो उसे रिहाई के समय प्रदान की जाती है|

21 पुलिस द्वारा एफ आई आर दर्ज न करने पर व्यक्ति पुलिस अधीक्षक या अन्य सीनियर पुलिस अधिकारी को पत्र द्वारा अपराध की सूचना देकर एफ आई आर दर्ज करवा सकता है|

22 अधिकार हनन के विरुद्ध व्यक्ति न्यायालय में  परिवाद दायर कर सकते हैं|

23 किसी भी व्यक्ति को गुलाम बनाकर नहीं रखा जा सकता है|

24 स्त्रियों अथवा बालकों से अनैतिक श्रम दंडनीय   अपराध है| उनसे जबरन भीख मंगवाना या वेश्यावृत्ति करवाना जुर्म है|

25 14 वर्ष से कम उम्र के बालकों को कारखाने में काम पर नहीं रखा जा सकता| 

26 पत्नी को उसके पति के विरुद्ध एवं पति  को पत्नी के विरुद्ध   जिरह स्थिति के दौरान की प्राइवेट बातों के लिए गवाही देने पर बाध्य नहीं किया जा सकता| इसी प्रकार अपने ही मामले में व्यक्ति को स्वयं के खिलाफ गवाही व सुबूत पेश करने के लिए मजबूर नहीं  जा सकता है|

27 सात वर्ष से कम उम्र के बालक द्वारा किया गया कार्य जुर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता|

28.गिरफ्तार व्यक्ति को वह अधिकार प्राप्त है कि वह अपनी गिरफ्तारी की सूचना अपने परिजनों मित्रों रिश्तेदारों एवं वकील को कर सके|

29.फौजदारी धारा 47  के अनुसार महिला कैदी से पूछताछ एवं तलाशी का कार्य महिला द्वारा ही या महिला की उपस्थिति में ही लिया जा सकता है|

30.प्रत्येक व्यक्ति को अपनी संपत्ति का उत्तराधिकारी तय करने का अधिकार है|

31. हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम 1956 के अनुसार पति द्वारा अर्जित संपत्ति पर पत्नी एवं उसके बच्चों को आधी आय व संपत्ति का जायज अधिकार माना गया है|

32. विधवा बहू को अपने ससुर की अर्जी संपत्ति का जायज अधिकार माना गया है|

33. आवश्यक व्यक्ति द्वारा की गई संविदा के लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता|

34.उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार एफ आई आर किसी भी थाने में दर्ज करवाई जा सकती है|

आवश्यक नहीं है कि उसी थाने में प्राथमिकी दर्ज हो जिस क्षेत्र में वरदान हुई हो| यदि पुलिस अधिकारी द्वारा आनाकानी की जाती है तो इसकी लिखित शिकायत वरिष्ठ अधिकारी को दी जा सकती है|

35.स्त्रीधन को प्रत्येक कुर्की नीलामी से मुक्त रखा गया है|

36.प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह अपने अनुपस्थिति में कार्यवाही निष्पादन के लिए प्रतिनिधि नियुक्त कर सकते हैं|

37.कारखाना अधिनियम सन 1948 के अनुसार प्रत्येक मजदूर को विधि द्वारा निर्धारित की गई सुविधाएं पाने का हक है| वह सुविधाएं निम्न प्रकार से है, 

(क) जिस कारखाने में 500 से अधिक श्रमिक एक कार्य करते हैं वहां एक श्रम कल्याण अधिकारी की कारखाना मालिक द्वारा  नियुक्त की जाएगी और वह उसका वेतन भी देगा|

(ख) कारखाने में फर्स्ट एंड बॉक्स सोना चाहिए| 500 से अधिक श्रमिक होने पर डाक्टर व नर्सिंग स्टाफ के साथ उपचार कक्ष भी होना चाहिए|

(ग) जिन कारखानों की क्षमता 250 श्रमिकों से अधिक है वहां जलपान गृह की सुविधा होनी चाहिए|

(घ) कर्मचारी यदि 150 से अधिक है तो उनकी सुविधा के लिए विश्राम कक्ष, आराम कक्ष, व भोजनालय की स्थापना होनी चाहिए

(ङ) जहां कर्मचारी खड़े रहकर कार्य करते हैं वहां कर्मचारियों के बैठने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए|

(च) पुरुष तथा महिला कर्मचारियों के लिए अलग-अलग वस्त्र धोने की व्यवस्था होनी चाहिए गीले वस्त्रों को सुखाने की भी व्यवस्था कारखाना मालिक की ओर से की जानी चाहिए|

(छ) कारखाना अधिनियम 1948 के अनुसार कारखानों में 30 से अधिक महिला कर्मचारी होने पर उनके 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए शिशु घर होने चाहिए| शिशु की देखरेख के लिए कुशल महिला होनी चाहिए|

(ज) महिला श्रमिकों से 1 दिन में 9 घंटे से ज्यादा कार्य नहीं लिया जा सकता|

(झ) शाम 7:00 बजे से सुबह 5:00 बजे तक महिला श्रमिकों कार्य पर नहीं लगाया जा सकता|

(ञ) 1 सप्ताह में 48 घंटों से ज्यादा कार्य नहीं करवाया जा सकता| सप्ताह में 6 दिन काम कि वह 1 दिन छुट्टी का होगा|

(त) 16 वर्ष से कम उम्र के किशोर जिन्हें मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है उन्हें न्यायालय द्वारा बाल अधिनियम 1960 के अनुसार उपचार, प्रशिक्षण एवं पुनर्वास के अधिकार प्रदान किए गए हैं|

(थ) समाज कल्याण विभाग द्वारा अनाज तथा त्यागी हुए 5 वर्ष तक के बच्चों के लिए शिशु गृह की स्थापना की गई है| 6 से 16 वर्ष के बालक एवं किशोर तथा 6 वर्ष से 18 वर्ष तक की बालिकाएं एवं किशोरी के लिए बाल गृहों की स्थापना की गई है| दोनों प्रकार की योजनाओं द्वारा निम्न सुविधाएं अधिकार प्रदान किए गए हैं|

 (1) भोजन की उचित व्यवस्था का लाभ|

(2) बस प्राप्त करने की अधिकारिकता|

(3) जीवनोपयोगी शिक्षा प्राप्त करने का प्रावधान|

समाज कल्याण की उक्त योजनाओं का लाभ निम्न प्रकार के शिशु, बालक- बालिकाओं को प्रदान किया जाता है|

1. जिनके माता-पिता को लंबी अपराधिक जेल सजा दी गई है|

2. पिता द्वारा माता को त्याग दिया गया हो और माता पालन व पोषण करने में असमर्थ हो|

3. बालक नाथ हो या जिसके माता-पिता के संबंध में कोई जानकारी न हो|

4. कोढ की बीमारी के कारण माता-पिता द्वारा जिन बच्चों की देखभाल किया जाना संभव ना हो|

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