भारतीय विवाह अनुच्छेद अधिनियम 1869

 भारतीय विवाह अनुच्छेद अधिनियम 1869

या अधिनियम ईसाई धर्म मानने वालों पर प्रभावी है।  इस अधिनियम की धारा 10 के अनुसार कोई पति जिला कोर्ट या उच्च न्यायालय से यह अनुरोध करते हुए अर्जी प्रस्तुत कर सकता है कि उसको अपनी पत्नी से तलाक दिलाया जाए क्योंकि पत्नी जार कर्म की दोषी है। 

भारतीय दंड संहिता की धारा 497 के अनुसार (जार कर्म विवाहित औरत के साथ सहवास करना लेकिन यह बलात्कार से अलग है इसमें स्त्री और पुरुष में सहवास दोनों की इच्छा से किया जाता है) करने वाले को 5 वर्ष की कैद या जुर्माना अथवा दोनों का दंड दिया जाता है या एक जमानजमानतिय प्रकार का मामला है। 

इस अधिनियम की धारा 10 के अनुसार कोई पत्नी जिला न्यायालय या उच्च न्यायालय कोहिया अनुरोध करते हुए अर्जी प्रस्तुत कर सकेगी कि उसका विवाह ऐसा धार पर विघटित कर दिया जाए कि उसके अनुष्ठान के बाद उसके पति ने ईसाई धर्म के बदले में कोई दूसरा धर्म मान लिया है और अन्य स्त्री के साथ किसी प्रकार का विवाह कर लिया है या वह जार कर्म का दोषी रहा है या जार कर्म सहित दो विवाह का दोषी रहा है या जार कर्म सहित अन्य स्त्री के साथ विवाह का दोषी रहा है या बलात्कार गुदामैथुन, पशुगमन का दोषी रहा है या जार कर्म के साथ ही ऐसी क्रूरता का दोषी रहा है जो जार कर्म के बिना ही उसे सहवास विच्छेद की हकदार बना देती है। 

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