नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881

 नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881

नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के अनुसार किसी व्यक्ति का चेक बाउंस होना एक अपराध है। उदाहरण के लिए मोहन ने 5 हजार रुपए का चेक सोहन को दिया और और सोहन भुगतान के लिए जब बैंक में चेक देता है तो बैंक कहता है कि मोहन के खाते में 5 हजार रुपए नहीं है तो इसे मोहन का चेक बाउंस होना कहा जाता है।  पहले आईपीसी की धारा 420 के अंतर्गत फर्जी चेक देने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जाती थी लेकिन अब पराक्रम में लिखित अधिनियम 1881 की धारा 138 के अंतर्गत मामला चलाया जाता है। 

चेक बाउंस होने के बाद भुगतान प्राप्त करने वाले व्यक्ति को चेक जारी करने वाले से 15 दिनों में चेक मिली की रकम मांगने चाहिए इस प्रकार रकम की मांग का नोटिस किसी वकील के माध्यम से रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाना चाहिए। इस प्रकार नोटिस जारी करने वाले व्यक्ति से भुगतान प्राप्त करने वाले व्यक्ति को भुगतान प्राप्त नहीं होता है तब 1 माह के भीतर न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग के सामने परिवाद दायर करना चाहिए| इस अधिनियम की धारा 138 के अनुसार चेक बाउंस होने पर चेक जारी करने वाले व्यक्ति को 2 वर्ष का कारावास व जुर्माने का प्रावधान किया गया है। AA

Comments

Popular posts from this blog

100 Questions on Indian Constitution for UPSC 2020 Pre Exam

भारतीय संविधान से संबंधित 100 महत्वपूर्ण प्रश्न उतर

संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख | Characteristics of the Constitution of India