प्रसूति पूर्व परीक्षण तकनीकी विनिमय व निवारण अधिनियम 1994
प्रसूति पूर्व परीक्षण तकनीकी विनिमय व निवारण अधिनियम 1994
प्रसूति पूर्व परीक्षण तकनीकी विनियमन व निवारण अधिनियम 1994 के अनुसार गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जांच करवाना कानूनी तौर पर अपराध माना गया है। इस पर पूर्ण रूप से रोक लगाई गई है। यदि कोई इस प्रकार की सोनोग्राफी करता है तो उसे कोर्ट द्वारा दंडित किया जा सकता है।
कोई भी व्यक्ति लिंग परीक्षण केवल पंजीकृत अस्पताल में नियम परिस्थितियों में करवा सकता है।
• क्रोमोसोमल अनियमितता के लक्षण होने पर
• जेनेटिक मेटाबॉलिक बीमारी होने पर
• हिमोग्लोबिन पोलियो होने पर
• सेक्स संबंधी बीमारी होने पर
• कोंग्रेस जेनाइटल अनियमित होने पर
इस प्रकार की तकनीक का प्रयोग उस स्त्री को अच्छी प्रकार समझा कर किया जाना चाहिए। जिस औरत का इस प्रकार का परीक्षण किया जाता है उस औरत से लिखित सहमति लेना आवश्यक है। इस तकनीक का प्रचार प्रसार करने वाले केंद्र या व्यक्ति को 3 वर्ष का कारावास व 10 हजार रुपए का जुर्माना किया जा सकता है। इस सुविधा का दुरुपयोग करने वाले डॉक्टर को नौकरी करने से भी रोका जा सकता है।
आईपीसी की धारा 312 के अनुसार गर्भपात करने वाले को 3 वर्ष का कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाता है।
यह एक जमानती अपराध होता है। इस प्रकार औरत की सहमति के बिना गर्भपात करने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास या 10 वर्ष का कारावास या जुर्माने से दंडित किया जाता है। यह एक अमानवीय प्रकार का अपराध है। इस धारा के अनुसार औरत की बिना सहमति से गर्भपात करते समय उसकी मौत हो जाए तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास का दंड दिया जाता है या 10 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माने से दंडित किया जाता है। यह मामला एक अजामानती प्रकार का अपराध है।
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