नागरिक सुरक्षा अधिनियम 1976

 नागरिक सुरक्षा अधिनियम 1976

(छुआछूत विरोधी कानून 1955 )

अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अनुसार अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों पर अत्याचार करना एक अपराध है।  अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति अत्याचार की मात्रा के अनुसार 20 हजार से 2 लाख तक की आर्थिक सहायता सरकार से प्राप्त कर सकते हैं।  मामले के गवाहों को कोर्ट में गवाही देने के लिए यात्रा एवं दैनिक भत्ता भी दिया जाता है।  अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति को जिला कलेक्टर या जिला कानूनी सहायता प्रकोष्ठ से संपर्क करना चाहिए। 

छुआछूत विरोधी कानून 1955 के अनुसार छुआछूत पूर्ण व्यवहार करना कानूनी जुर्म है।  किसी सार्वजनिक स्थान ,पूजा स्थान, तीर्थ स्थान पर किसी विशेष जाति या किसी विशेष व्यक्ति को जाने से रोकने वाला व्यक्ति अधिनियम के अनुसार अपराधी माना जाएगा।  1976 में छुआछूत विरोधी कानून 1955 का नाम बदल दिया गया और अब इसका नाम नागरिक सुरक्षा अधिनियम 1976 रख दिया गया।  इस कानून में किसी व्यक्ति से जबरदस्ती मैला उठवाना या सफाई करवाना या पशुओं की लाश उठवाना या झाड़ू लगवाना दंडनीय अपराध माना गया है।  किसी जाति विशेष के व्यक्ति को सार्वजनिक वस्तु छूने से मना करने वाले व्यक्ति को अपराधी माना जाता है।  इस अधिनियम के अंतर्गत जुर्म करने वाले व्यक्ति को छह माह की कैद या पांच सौ रुपए  के जुर्माने से दंडित किया जाता है। 

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