कॉपीराइट अधिनियम 1957
कॉपीराइट अधिनियम 1957
कॉपीराइट अधिनियम की धारा 14 के अनुसार किसी रचना को प्रकाशित एवं प्रतिलिपि करने के अधिकार को कॉपीराइट अधिकार कहते हैं। यह अधिकार पुस्तको, फिल्मों, गानों, नाटकों, ट्रेंड मार्को आदि के संबंध में होता है। प्रकाश पुस्तकों के संबंध में यह लेखक के जीवन काल और उसकी मौत के 50 वर्ष बाद तक रहता है। इस एक्ट के लिए आवश्यक है कि रचना निर्दोष मौलिक एवं मूल्यवान होनी चाहिए।
कॉपीराइट का अर्थ है कॉपी + राइट= प्रतियां बनाने का अधिकार होता है अर्थात किसी भी रचना की प्रतियां बनाने के अधिकार को कॉपीराइट कहते हैं। उदाहरण के लिए आपके पास लकड़ी है तो आप उस लकड़ी से मनचाहा फर्नीचर बना सकते हैं क्योंकि वह लकड़ी आपकी है। इसी प्रकार यदि लेखक के पास कोई रचना है तो वह उस रचना की चाहे जितनी प्रतियां बना सकता है क्योंकि वह रचना उस लेखक की है| जिस प्रकार से आप की लकड़ी से कोई दूसरा व्यक्ति फर्नीचर नहीं बना सकता है क्योंकि वह लकड़ी आपसे किसी दूसरे व्यक्ति को बेची नहीं है। उसी प्रकार कोई दूसरा व्यक्ति लेखक की रचना की प्रतियां नहीं बना सकता है। इसे एक संपत्ति माना गया है। कॉपीराइट कानून 1957 का निर्माण लेखकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया गया है। इस कानून के निर्माण के बाद लेखकों के निजी विचार का आर्थिक लाभ चोरी के द्वारा दूसरा व्यक्ति नहीं ले सकता है। अर्थात कॉपीराइट कानून किसी व्यक्ति को लेखक की अनुमति के बिना मूल कॉपी की प्रतियां बनाने से रोकता है।
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