लोक अपरूपण/न्यूसेंस
लोक अपरूपण/न्यूसेंस
ऐसा कार्य जो किसी सामान्य व्यक्ति या आसपास रहने वाले व्यक्ति को संकट में डालता है वह न्यूसेंस कहलाता है। ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति न्यूसेंस का अपराधी होता है।
हमारे कानून ने निम्न कार्यों को न्यूसेंस माना है।
• किसी नदी, स्थान, मार्ग में बाधा उत्पन्न करना।
• किसी मार्ग स्थान पर बिना चारदीवारी का कुआं या तालाब खोदना।
• किसी व्यक्ति या व्यापारी द्वारा ऐसा माल रखना जो लोगों के स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है।
• कोई ऐसा पदार्थ रखना जिसे अग्निकांड होने की संभावना हो।
• कोई भवन या वस्तु ऐसी अवस्था में रखना जो कभी भी गिर सकती हो और उसके पास से गुजरने वाला व्यक्ति मर भी सकता हो।
• कोई भयानक जानवर रखना जो कभी भी किसी भी व्यक्ति को हानि पहुंचा सकता हो।
इनको हटाने की कार्रवाई का वर्णन सीआरपीसी की धारा 133 से 143 में किया गया है| न्यूसेंस का वर्णन आईपीसी में भी किया गया है। जब कोई न्यूसेंस नगरपालिका की लापरवाही से फैलता है तो जिला मजिस्ट्रेट सीआरपीसी की धारा 133 के अनुसार नगर पालिका को लोक न्यूसेंस हटाने का आदेश दे सकता है। सार्वजनिक सड़क पर कब्जा करना लोक न्यूसेंस माना गया है।
उदाहरण: यदि किसी कारखाने की मशीनों से इतना शोर उत्पन्न होता है कि उस कारखाने के पास की कॉलोनी के लोग आराम से नींद नहीं ले सकते तो यह शोर न्यूसेंस की श्रेणी में आता है।
सन 1981 में नगर पालिका परिषद रतलाम बनाम श्री वर्दी चंद्र और अन्य के मामले में माननीय उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि किसी क्षेत्र में शौचालयों के अभाव में लोगों द्वारा खुले स्थानों में मल त्यागने से और जालियां ना होने से गड्ढों में गंदा पानी एकत्रित होने के कारण लोक अब्दुल क्षण होता है तो इसको दूर करवाने के लिए उस क्षेत्र के लोगों द्वारा मजिस्ट्रेट को प्रार्थना पत्र लिखा जाता है और मजिस्ट्रेट नगरपालिका को न्यूसेंस दूर करने का आदेश दे सकता है। यदि उस आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो उसको भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दंडित किया जा सकता है।
धारा 188- किसी सरकारी अधिकारी के आदेश को इस मकसद से ना मानना कि इससे कानूनी रूप से कार्य करने वाले व्यक्ति को बाधा उत्पन्न हो तो ऐसे व्यक्ति को 1 माह का सादा कारावास या 200 रुपए का जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है। यह एक जमानती मामला है।
कोई भी व्यक्ति सड़क नदी सार्वजनिक स्थान से लोग न्यूसेंस हटाने के लिए पुलिस में रिपोर्ट करवा सकता है। इसके अलावा जिला मजिस्ट्रेट या उपखंड मजिस्ट्रेट से शिकायत कर सकता है। यहां पर मजिस्ट्रेट शिकायत प्राप्त करने के बाद विचार करता है और यदि मजिस्ट्रेट के विचार में वास्तव में कोई लोग न्यूसेंस है तो वह उसको हटाने का आदेश जारी करेगा। यदि न्यू सर्च करने वाला व्यक्ति आदेश का पालन नहीं करता है तो उस व्यक्ति पर आईपीसी की धारा 188 के अनुसार मुकदमा चलाया जाएगा। इस मामले में न्यूसेंस उत्पन्न करने वाले को सजा भी दी जाएगी।
Comments
Post a Comment