Section 207 IPC in Hindi and English
Section 207 IPC in Hindi and English
Section 207 of IPC 1860:-Fraudulent claim to property to prevent its seizure as forfeited or in execution -
Whoever fraudulently accepts, receives or claims any property or any interest therein, knowing that he has no right or rightful claim to such property or interest, or practices any deception touching any right to any property or any interest therein, intending thereby to prevent that property or interest therein from being taken as a forfeiture or in satisfaction of a fine, under a sentence which has been pronounced, or which he knows to be likely to be pronounced by a Court of Justice or other competent authority, or from being taken in execution of a decree or order which has been made, or which he knows to be likely to be made by a Court of Justice in a civil suit, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 207 of Indian Penal Code 1860:
Sunita Devi vs State Of Bihar And Ors on 6 December, 2004
Sidhartha Vashisht @ Manu Sharma vs State (Nct Of Delhi) on 19 April, 2010
Rajpal Singh And Ors. vs Jai Singh And Anr. on 16 April, 1970
Chhadami Lal Jain And Others vs The State Of Uttar Pradesh on 14 September, 1959
Santokh Singh vs Izhar Hussain And Anr on 25 April, 1973
Raghubir Singh & Others Etc vs State Of Bihar on 19 September, 1986
Salim Akhtar @ Mota vs State Of Uttar Pradesh on 9 April, 2003
Rajinder Prasad vs Bashir & Ors on 19 September, 2001
State Of Tamil Nadu vs S.A. Raja on 26 October, 2005
Jaswant & Anr vs State Of Rajasthan on 13 May, 2009
आईपीसी, 1860 (भारतीय दंड संहिता) की धारा 207 का विवरण -संपत्ति पर उसके समपहरण किए जाने में या निष्पादन में अभिगृहीत किए जाने से निवारित करने के लिए कपटपूर्वक दावा -
जो कोई किसी संपत्ति को, या उसमें के किसी हित को, यह जानते हुए कि ऐसी संपत्ति या हित पर उसका कोई अधिकार या अधिकारपूर्ण दावा नहीं है, कपटपूर्वक प्रतिगृहीत करेगा, प्राप्त करेगा, या उस पर दावा करेगा अथवा किसी संपत्ति या उसमें किसी हित पर किसी अधिकार के बारे में इस आशय से प्रवंचना करेगा कि तद्द्वारा वह उस संपत्ति या उसमें के हित का ऐसे दण्डादेश के अधीन, जो न्यायालय या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा सुनाया जा चुका है या, जिसके बारे में वह जानता है कि न्यायालय या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा उसका सुनाया जाना संभाव्य है, समपहरण के रूप में या जुर्माने के चुकाने के लिये लिया जाना, या ऐसी डिक्री या आदेश के निष्पादन में, जो सिविल वाद में न्यायालय द्वारा दिया गया हो, या जिसके बारे में वह जानता है कि सिविल वाद में न्यायालय द्वारा उसका दिया जाना संभाव्य है, लिया जाना निवारित करे, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
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