भारत का संविधान - समाजवाद, कल्याणकारी राज्य, व्यस्क मताधिकार

भारत का संविधान - समाजवाद, कल्याणकारी राज्य, व्यस्क मताधिकार

Landmark Cases of India / सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले


समाजवाद_ भारत का संविधान समाजवाद का पोषक है |उद्देशिका में शब्द समाजवाद संविधान के 42 वे संशोधन द्वारा जोड़ा गया है |समाजवाद में अभिप्राय है _आर्थिक न्याय अथवा मिश्रिन अर्थव्यवस्था डी , एस  नकारा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया(ए, आई, आर 1983 एस, सी130) के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा समाजवाद को निम्नांकित शब्दों में परिभाषित किया गया है | समाजवाद का मूल्य तत्व कर्म करो एवं समाज के कमजोर वर्गों के लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाना है |यह आर्थिक समानता और आय के सम्मान वितरण का पक्षधर है| यह गांधीवाद और मार्क्सवाद का अद्भुत मिश्रण है| जिसका झुकाओ गांधीवाद की ओर अधिक है |इससे  वियर बनाम यूनियन ऑफ इंडिया(ए, आई, आर  1979एस सी, 25) के मामले में समाजवाद की व्याख्या करते हुए उच्चतम न्यायालय द्वारा यह कहा गया है कि समाजवाद समाज की संरचना के अंतर्गत राष्ट्रीयकरण एवं राज्य स्वामित्व की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए |लेकिन साथ ही निजी संपत्ति एवं कारखानों की बहुलता वाले इस देश में निजी स्वामित्व वाले वर्ग के हितों को भी अपेक्षा नहीं की जा सकती |
नंदिनी सुंदर बनाम स्टेट आफ छत्तीसगढ़(ए, आई, आर2011 एस, सी, 2839) के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह कहा गया है| कि संविधान की प्रस्तावना में भारत के प्रत्येक नागरिक को सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय का वचन दिया गया है |हमारी नीतियों में इसकी अपेक्षा नहीं की जा सकती |
अखंडता
भारत का संविधान देश की एकता एवं अखंडता का महत्व प्रदान करता है |संविधान के अनुच्छेद 1 में प्रयुक्त अभिव्यक्त भारत राज्य का एक संघ होगा इसकी पुष्टि हो जाती है| इससे यह स्पष्ट है कि भारतीय संघ के किसी भी राज्य को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है| देश की एकता एवं अखंडता को अक्षूण्ण बनाए रखना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है |यहां तक कि संविधान के अनुच्छेद 19 के अंतर्गत देश की एकता और अखंडता का अक्षूण्ण बनाए रखने के लिए नागरिकों को की स्वतंत्रताअॊ को भी प्रतिबंधित किया जा सकता |
 है|
कल्याणकारी राज्य
हमारे संविधान निर्माताओं की एक और अल्पना कल्याणकारी राज्य की स्थापना करने की थी | यद्यपि उद्देशिका में इन शब्दों को स्थान नहीं दिया गया है| लेकिन व्यवहार में संविधान में कल्याणकारी राज्य के कई उपलब्ध किए गए हैं | राज्य की नीति के निर्देशक तत्व कल्याणकारी राज्य के सटीक उदाहरण है | हमारा संविधान बहुजन हिताय बहुजन सुखाय मैं विश्वास करता है| अवसर की समानता और सम्मान कार्य के लिए समान वेतन की व्यवस्था इसी का परिणाम है |

मूल मताधिकार
संविधान के भाग 3 में प्रत्याभूत मूल अधिकारों के माध्यम से हमारे संविधान निर्माताओं भारत वासियों को मुक्त हवा मैं सांस लेने का अवसर प्रदान करने के वादे को पूरा किया है| साथ ही भिन्न स्वतंत्रतस्वतंत्रताअॊ के माध्यम से व्यक्ति के शारीरिक मानसिक एवं बौद्धिक विकास का बीड़ा भी उठाया है | निश्चित ही हमारे संविधान की यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है |
व्यस्क मताधिकार
सत्ता का विकेंद्रीकरण एवं संसदीय प्रणाली की स्थापना भी हमारे संविधान निर्माताओं का स्वप्न रहा है | इस सपने को भी संविधान में पूरा किया गया है जनप्रतिनिधियों के निर्वाचन के लिए व्यस्क मताधिकार की व्यवस्था इसी दिशा में उठाया गया है | महत्वपूर्ण कदम है | इस प्रकार संविधान निर्माताओं की संकल्पना  सकल्पना का भारत संविधान की उद्देशिका में प्रमुख शब्दों की स्पष्ट हो जाता है |

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