मूल्य कर्तव्य - भारतीय संविधान
मूल्य कर्तव्य - भारतीय संविधान
Landmark Cases of India / सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले
मूल्य कर्तव्य_ भारतीय संविधान के मूल्य प्रारूस मैं मूल कर्तव्यों का उल्लेख नहीं था | संविधान में मूल अधिकार तो जोड़ दिए गए लेकिन मूल कर्तव्य रह गए | कालांतर में संविधान में मूल कर्तव्यों को जोड़ने की आवश्यकता महसूस की गई| इसी का परिणाम है कि संविधान के 42 में संशोधन द्वारा एक नया भाग 4 का अनंत स्थापित कर अनुच्छेद 51 का में निम्नलिखित मूल्य कर्तव्य समाहित किए गए_
भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह_
(के) संविधान का प्लान करें और उनके आदेशों संस्थाओं राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान का आदर करें,
(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदेशों को ह्रदय में संजोए रखें और उनका पालन करें,
(ग) भारत की प्रभुता एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण रखें,
(घ) देश की रक्षा करें और आहान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करें
(ड) भारत के सभी लोगों में समानता और सम्मान भातृत्व की भावना का निर्माण ने करें जो धर्म भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से भरे हो ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है,
(च) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परीरक्षण करें,
(छ) प्राकृतिक पर्यावरण का जिसके अंतर्गत झील ,नदी ,और वन्य ,जीव है तथा करें उनका स बंधन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दया भाव रखें,
(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें,
(क्ष) सर्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रखें,
( ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें जिसे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊंचाई को छू ले,
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