सम्मेलन का अधिकार

 सम्मेलन का अधिकार - संविधान के अनुच्छेद 19(1) (ख)के अंतर्गत भारत के प्रत्येक नागरिक को शांतिपूर्वक और निरयुध सम्मेलन करने का मूल अधिकार प्रदान किया गया है इसके अधीन प्रत्येक नागरिक सभा एवं सम्मेलन आयोजित करने का जुलूस आदि निकालने के लिए स्वतंत्र है |वस्तुत यह अधिकार वाक एवं अभियुक्त की स्वतंत्रता के अधिकार से मिलता जुलता है|


Landmark Cases of India / सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले


लेकिन यहां यह उल्लेखनीय है कि सम्मेलन की स्वतंत्रता का अधिकार भी अबाध अथऻत निरपेक्षता नहीं है विधि फुल सम्मेलन के लिए दो बातें आवश्यक है

(के) यह शांतिपूर्वक होना चाहिए

(ख) निरायुध होना चाहिए

संविधान के अनुच्छेद 19(2) के अंतर्गत सम्मेलन के इन अधिकार के निम्नलिखित भी किया जा सकता है इस अधिकार पर प्रतिबंध निम्नांकित आधारों जा सकता है|

(1) देश की प्रभुता एवं अखंडता के लिए तथा

(2) लोक व्यवस्था बनाए रखने के लिए

किसी भी नागरिक को ऐसी सभा या सम्मेलन आयोजित करने की स्वतंत्रता नहीं दी जा  सकती जिससे लोक शांति भंग हो अथवा देश की प्रभुता एवं अखंडता या लोक व्यवस्था संकट में पडे जाए| लोक शांति एवं लोक व्यवस्था बनाए रखने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 107 पुलिस अधिनियम की धारा 30 तथा आयुध अधिनियम की धारा 3 आदि में विभिन्न व्यवस्थाएं की गई है इन व्यवस्थाओं में मधु  लिमये में बनाम  एस, डी, एम, मुझे{(1970) 3 एस, सी, एस 746 तथा महेंद्र बनाम स्टेट एआईआर 1953 मध्य भारत 260} मैं वैध एवं संविधान ठहराया गया है|

Comments

Popular posts from this blog

100 Questions on Indian Constitution for UPSC 2020 Pre Exam

भारतीय संविधान से संबंधित 100 महत्वपूर्ण प्रश्न उतर

संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख | Characteristics of the Constitution of India