संचरण भ्रमण का अधिकार
संचरण भ्रमण का अधिकार - संविधान के अनुच्छेद 19 के अंतर्गत भारत के प्रत्येक नागरिक को भारत के राज्य में क्षेत्र एवं सवंत्र अबाध रूप से संचरण करने अर्थात भ्रमण करने का मूल अधिकार प्रदान किया गया है इस अधिकार के अधीन भारत के प्रत्येक नागरिक भारत राज्य क्षेत्र में कहीं भी भ्रमण करने के लिए स्वतंत्र हैं|
Landmark Cases of India / सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले
एनवी खरे बनाम स्टेट ऑफ़ दिल्ली (ए,आई,आर ,1950 एन,सी 211)तथा गुरु वचन सिंह बनाम स्टेट ऑफ मुंबई( ए,आई,आर, 1952 एस,सी 221) के मामलों में उच्चतम न्यायालय द्वारा भी इस अधिकार की पुष्टि करते हुए कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद 19 (1)(घ)नागरिकों को भारत के संपूर्ण राज्य क्षेत्र या सर्वत्र अबाध रूप से भ्रमण करने का अधिकार प्रदान करता है| यह न केवल एक राज्य से दूसरे राज्य में आपूर्ति एक राज्य में एक स्थान से दूसरे स्थान के भ्रमण करने की भी स्वतंत्रता प्रदान करता है|
स्वतंत्रता के इस अधिकार के संविधान के अनुच्छेद 19(2) के अंतर्गत निम्नलिखित आधारों पर प्रतिबंधित किया जा सकता है-
(क) साधारण जनता के हित में
(ख) अनुसूचित जाति के हित में
इस विषय पर स्टेट आफ उत्तर प्रदेश बनाम कौशल्या (ए,आई,आर ,1964 एस,सी 415 )का एक अच्छा मामला है इसमें उच्चतम न्यायालय द्वारा साधारण जनता के हित में वेश्या या भ्रमण क स्वतंत्रता पर लगाए गए प्रतिबंधित को वैध माना गया है| उच्चतम न्यायालय ने कहा सदाचार नैतिकता एवं साधारण जनता के हित में यदि किसी वेश्या को-
(I) स्थान विशेष से हटाया जाता है
(ii) बहिष्कृत किया जाता है
(iii) भ्रमण के अधिकार से वंचित किया जाता है तो ऐसा किया जाना युक्तियुक्त एवं विधि पूर्ण है|
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