संगम या संघ बनाने का अधिकार

 संगम या संघ बनाने का अधिकार - संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ग)में भारत के प्रत्येक नागरिक को संगम या संघ बनाने का मूल अधिकार प्रदान किया गया है इसके अनुसार भारत का प्रत्येक नागरिक अपनी मनपसंद का संगम या संघ बनाने के लिए स्वतंत्र है|


Landmark Cases of India / सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले



सूर्यपाल सिंह बनाम स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश एआईआर 1951 इलाहाबाद 674 के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा इस अधिकार की पुष्टि करते हुए यह कहा गया है की भारत का प्रत्येक नागरिक अपनी इच्छा पूर्वक कोई संघ या संगम बनाने उसे चालू रखने अथवा समाप्त करने उसमें सम्मिलित होने अथवा ना होने आदि के लिए स्वतंत्र है|

लेकिन अन्य नागरिकों की तरह यह अधिकार भीअबाध अथवा निरपेक्ष नहीं है |इस पर भी प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं| अनुच्छेद 19(2) के अनुसार संगम या संघ बनाने की स्वतंत्रता को निम्नलिखित आधारों पर प्रतिबंधित किया जा सकता है|

(क) देश की प्रबलता एवं अखंडता के लिए

(ख) लोक व्यवस्था बनाने रखने के लिए तथा

(ग) सदाचार के हित में|

इस संबंध में स्टेट आफ मद्रास बनाम वी, जी, राव( ए, आई, आर, 1952एस, सी, 196,) का एक महत्वपूर्ण मामला है जिसमें उच्चतम न्यायालय द्वारा यह कहा गया है कि यह सही है कि लोग शांति लोक व्यवस्था एवं सदाचार को प्रतिकूलतया प्रभावित करने वाले  संघ या संगमो को सरकार द्वारा अवैध घोषित किया जा सकता है लेकिन अवैध घोषित करने वाली विधि व्यवस्था एवं प्रक्रिया का विधि पूर्ण एवं संवैधानिक होना आवश्यक है|

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है की संगम या संघ स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण एवं सर्वोपरि देश की एकता और अखंडता लोक व्यवस्था एवं सदाचार का संधारण है|

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