निवास करने और बस जाने का अधिकार

 निवास करने और बस जाने का अधिकार - संविधान के अनुच्छेद 19(ड) के अंतर्गत भारत के प्रत्येक नागरिक को भारत के राज्य क्षेत्र के किसी भी भाग्य में निवास करने और बस जाने का मूल अधिकार प्रदान किया गया है| इस अधिकार के अधीन भारत का प्रत्येक नागरिक भारत के किसी भी कोने में बस जाने या निवास करने के लिए स्वतंत्र है उसे इस अधिकार किस से वंचित नहीं किया जा सकता है|


Landmark Cases of India / सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले


अनुच्छेद 19 (2)के अनुसार केवल दो आधारों पर इस अधिकार अर्थात स्वतंत्रता को प्रतिबंधित किया जा सकता है-

(I) जनसाधारण के हित में

(ii) अनुसूचित जनजातियों के हितों के संरक्षण के लिए

किसी वेश्या को निवास करने या बस जाने की स्वतंत्रता नहीं देना उत्तर प्रदेश राज्य बनाम कौशल्या (ए,आई,आर ,1964 एस,सी 415) किसी आदतन अपराधी को किसी स्थान विशेष पर निवास नहीं करने देना या बसने से रोका जाना(अरूमूगम बनाम स्टेट ऑफ़ मद्रास एआईआर 1953 मद्रास 664 )आदि इसी अधिकार का अतिक्रमण नहीं है|

लेकिन स्टेट आफ मध्य प्रदेश बनाम भारत सिंह( ए,आई,आर, 1967 ,एस,सी 1170 )के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह कहा गया है कि ऐसे प्रतिबंध का युक्तियुक्त होना अर्थात सुरक्षा चारी नहीं होना आवश्यक है यदि किसी व्यक्ति को किसी स्थान 


विशेष से निष्कासित किया जाता है तो उसे सुनवाई का व्यक्ति अवसर दिया जाना अपेक्षित है नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत भी यही कहता है|

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