Section 94 IPC in Hindi

 Section 94 IPC in Hindi and English


Section 94 of IPC 1860:-Act to which a person is compelled by threats -

Except murder, and offences against the State punishable with death, nothing is an offence which is done by a person who is compelled to do it by threats, which, at the time of doing it, reasonably cause the apprehension that instant death to that person will otherwise be the consequence :

Provided the person doing the act did not of his own accord, or from a reasonable apprehension of harm to himself short of instant death, place himself in the situation by which he became subject to such constraint.

Explanation 1 - A person who, of his own accord, or by reason of a threat of being beaten, joins a gang of dacoits, knowing their character, is not entitled to the benefit of this exception, on the ground of his having been compelled by his associates to do anything that is an offence by law.

Explanation 2 - A person seized by a gang of dacoits, and forced, by threat of instant death, to do a thing which is an offence by law; for example, a smith compelled to take his tools and to force the door of a house for the dacoits to enter and plunder it, is entitled to the benefit of this exception.


Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 94 of Indian Penal Code 1860:

Parmeshwari Devi vs State And Anr on 23 November, 1976

Kishor Kirtilal Mehta & Ors vs Vijay Kirtilal Mehta & Ors on 18 February, 2008

Union Of India And Another vs W.N. Chadha on 17 December, 1992


आईपीसी, 1860 (भारतीय दंड संहिता) की धारा 94 का विवरण -वह कार्य जिसको करने के लिए कोई व्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है -

हत्या और मृत्यु से दण्डनीय उन अपराधों को जो राज्य के विरुद्ध है, छोड़कर कोई बात अपराध नहीं है, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए, जो उसे करने के लिए ऐसी धमकियों से विवश किया गया हो जिनसे उस बात को करते समय उसको युक्तियुक्त रूप से यह आशंका कारित हो गई हो कि अन्यथा परिणाम यह होगा कि उस व्यक्ति की तत्काल मृत्यु हो जाए।

परन्तु यह तब जबकि उस कार्य को करने वाले व्यक्ति ने अपनी ही इच्छा से या तत्काल मृत्यु से कम अपनी अपहानि की युक्तियुक्त आशंका से अपने को उस स्थिति में न डाला हो, जिसमें कि वह ऐसी मजबूरी के अधीन पड़ गया है।

स्पष्टीकरण 1 - वह व्यक्ति, जो स्वयं अपनी इच्छा से, या पीटे जाने की धमकी के कारण, डाकुओं की टोली में उनके शील को जानते हुए सम्मिलित हो जाता है, इस आधार पर ही इस अपवाद का फायदा उठाने का हकदार नहीं कि वह अपने साथियों द्वारा ऐसी बात करने के लिए विवश किया गया था जो विधिना अपराध है। |

स्पष्टीकरण 2 - डाकुओं की एक टोली द्वारा अभिगृहीत और तत्काल मृत्यु की धमकी द्वारा किसी बात के करने के लिए जो विधिना अपराध है, विवश किया गया व्यक्ति, उदाहरणार्थ, एक लोहार, जो अपने औजार लेकर एक गृह का द्वार तोड़ने को विवश किया जाता है, जिससे डाकू उसमें प्रवेश कर सकें और उसे लूट सकें, इस अपवाद का फायदा उठाने के लिए हकदार है।


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