Article 372A Constitution of India

Article 372A in The Indian Constitution

Power of the President to adapt laws
(1) For the purposes of bringing the provisions of any law in force in India or in any part thereof, immediately before the commencement of the Constitution (Seventh Amendment) Act, 1956 , into accord with the provisions of this Constitution as amended by that Act, the President may by order made before the 1 st day of November, 1957 make such adaptations and modifications of the law, whether by way of repeal or amendment, as may be necessary or expedient, and provide that the law shall, as from such date as may be specified in the order, have effect subject to the adaptations and modifications so made, and any such adaptation or modification shall not be questioned in any court of law
(2) Nothing in clause ( 1 ) shall be deemed to prevent a competent legislature or other competent authority from repealing or amending any law adapted or modified by the President under the said clause

India's Important Case Laws and Landmark Judgments on Constitution of India i.e. Article 372A Constitution of India - NA


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Article 372A of Indian Constitution in Hindi - भारतीय संविधान का अनुच्छेद 372क का विवरण -

भारतीय संविधान अनुच्छेद 372a kya hai? | [ Indian Constitution Article 372a in Hindi ] –
विधियों का अनुकूलन करने की राष्ट्रपति की शक्ति–
(1) संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 के प्रारंभ से ठीक पहले भारत में या उसके किसी भाग में प्रवॄत्त किसी विधि के उपबंधों को उस अधिनियम द्वारा यथासंशोधित इस संविधान के उपबंधों के अनुरूप बनाने के प्रयोजनों के लिए, राष्ट्रपति, 1 नवंबर, 1957 से पहले किए गए आदेश[26] द्वारा, ऐसी विधि में निरसन के रूप में या संशोधन के रूप में ऐसे अनुकूलन और उपांतरण कर सकेगा जो आवश्यक या समीचीन हों और यह उपबंध  कर सकेगा कि वह विधि ऐसी तारीख से जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए, इस प्रकार किए गए अनुकूलनों और उपन्तारणों के अधीन रहते हुए प्रभावी होगी और किसी ऐसे अनुकूलन या उपांतरण को किसी न्यायालय में प्रश्नगत नहीं किया जाएगा।

(2) खंड (1) की कोई बात, किसी सक्षम विधान-मंडल या अन्य सक्षम प्राधिकारी को, राष्ट्रपति द्वारा उक्त खंड के अधीन अनुकूलित या उपांतरित किसी विधि का निरसन या संशोधन करने से रोकने वाली नहीं  समझी जाएगी।]

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