भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बनाम भारत कुमार

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले में जिसका नाम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बनाम भारत कुमार और अन्य में न्यायालय के 3 न्यायाधीशों की पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के निर्णय को पुष्टि करते हुए यह कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा बंद का आयोजन करना असंवैधानिक और अवैध है । 

उत्तम न्यायालय ने निर्णय दिया कि केरल उच्च न्यायालय द्वारा बंद और हड़ताल में किया गया भेद सही है और उसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है केरल उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में बंद और हड़ताल में भेद नागरिकों के मूल अधिकारों पर पड़ने वाले प्रभाव के आधार पर किया था उच्च न्यायालय के अनुसार बंद से नागरिकों के मूल अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और वह उसका प्रयोग करने से वंचित कर दिए जाते हैं जबकि हड़ताल का ऐसा प्रभाव नहीं पड़ता

इस मामले में केरल चेंबर ऑफ कॉमर्स के दो नागरिकों ने उच्च न्यायालय में अनुच्छेद 226 के तहत फाइल किया और प्रार्थना की कि वह राजनीतिक दलों द्वारा बंद के आह्वान एवं आयोजन को असंवैधानिक घोषित कर दें क्योंकि इससे उनके अनुच्छेद 21 और 19 में प्रदत्त मूल अधिकारों का उल्लंघन होता है कम्युनिस्ट पार्टी ने इस केस में कहा कि बंद का आह्वान केवल अनुच्छेद 19(1)(क) के अधीन राजनीतिक दल का मौलिक अधिकार है

उच्च न्यायालय ने इस केस में कहा कि बंद के आवाहन में नागरिकों को अभिव्यक्त या दूसरे रूप से धमकी दी जाती है कि वे अपनी गतिविधियों को ना चलाएं । यदि शारीरिक हिंसा ना भी हो तो भी नागरिकों में मनोवैज्ञानिक भय व्याप्त हो जाता है जिसके कारण में अपने मूल अधिकारों का प्रयोग करने से वंचित हो जाते हैं बंद के आह्वान में नागरिकों को धमकी निहित रहती है कि उसके न मानने पर उनके शरीर को या संपत्ति को क्षति पहुंच सकती है यहां तक नागरिक को बलपूर्वक काम पर जाने से या कारोबार या पेशा करने से रोका जाता है वही दूसरे व्यक्ति द्वारा उसके मूल अधिकारों का उल्लंघन होता है यह निर्णय लिया गया कि यद्यपि इसको रोकने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है किंतु अनुच्छेद 226 के अधीन न्यायालय को नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करने की शक्ति प्राप्त है अनुच्छेद 19 एक के प्रति भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत किसी भी राजनीतिक दल को बंद का आह्वान करने का अधिकार प्राप्त नहीं है |

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भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले। यहां पर ऐसे फैसले जो सर्वोच्च न्यायालय / भारत के सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए हैं तथा भारत के नागरिकों के जीवन में महत्वपूर्ण है ऐसे मामलों की सही तरह की जानकारी आम नागरिकों तक हिंदी में पहुंचे क्योंकि अभी तक ऐसी व्यवस्था नहीं बनी है कि हिंदी भाषा में भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले हैं उनकी जानकारी आम जनता तक एक किसी स्थान पर सबको मिल सके | अखबारों में वेबसाइट पर कहीं-कहीं इनके बारे में जिक्र होता है लेकिन कोई एक स्थान नहीं है जहां पर भारत के कानून, भारत के संविधान, भारत के उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों के बारे में जानकारी दी जाती हो | इसलिए कोशिश की गई है कि यहां पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों के बारे में सरल हिंदी भाषा में आपके सामने रखा गया है ताकि आपको इन ऐतिहासिक फैसलों के बारे में जानकारी हो | सिटीजन शुड बी मेड अवेयर ऑफ लैंडमार्क जजमेंट्स |

Landmark judgements given by the Supreme Court of India are are being quoted here and we have tried that most important cases decided by Supreme Court of India which are useful for the citizens of India at least should be brought into public domain.

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