जाली स्टांप बनाना, बेचना
जाली स्टांप बनाना, बेचना
भारतीय दंड संहिता की धारा 255 से 263- ए
सरकार द्वारा विभिन्न मूल्यों में स्टांप पर जाते हैं। जिनका प्रयोग बहुत से सरकारी कार्यों में होता है। इंस्टॉल को बेचने से जो पैसा एकत्रित होता है वह राजकीय कोष में जाता है। यदि कोई इन सरकारी राजस्व स्टांपों की नकल करके उसी तरह का स्टांप छपता है या छापने में सहयोग करता है या असली स्टांप में कोई परिवर्तन करता है, एक अत्यंत गंभीर अपराध करता है। इस अपराध से सरकारी राजकोष को नुकसान पहुंचता है।
जाली डांस टेंपो से संबंधित अपराध में जाली स्टांप छापना, रखना, बेचना, जाली स्टांप छापने के लिए उपकरण या सामग्री रखना तथा असली स्टांप में परिवर्तन करना, एक बार प्रयोग किए जा चुके स्टांप का दोबारा प्रयोग करना इत्यादि आता है। यह सब दंडनीय अपराध है।
उदाहरण
जुनेद जाली सरकारी स्टांस्टांपों को छाप कर भेजता है। लोग उन्हें असली सरकारी स्टांप समझकर खरीदते हैं। जुनेद जाली सरकारी स्टांप बनाने का तथा बेचने का अपराध करता है।
दंड का प्रावधान
जाली स्टांप बनाने के अपराध का दर्द आजीवन कारावास, 10 वर्ष तक का कारावास, तथा जुर्माना भी हो सकता है।
नकली डाक टिकट से संबंधित अपराध का दंड ₹200 का जुर्माना हो सकता है।
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