दहेज़ का कानून
दहेज़ का कानून
भारतीय दंड संहिता धारा 304 बी के तहत शादी के लिए दहेज मांगना, लेना या देना या किसी को दहेज लेने या देने के लिए उकसाना एक अपराध है। 'दहेज' शादी के एक पक्ष द्वारा शादी के दूसरे पक्ष को या किसी तीसरे व्यक्ति को दिया जाता है। इस प्रकार की शादी से दहेज के लालच में की जाती है और शादी जैसा पवित्र बंधन व्यापार का रूप बन जाता है।
शादी के समय दुल्हन को दिए गए उपहार को 'दहेज' नहीं माना जाता है परंतु वह उपहार,उपहार देने वाले की क्षमता के अनुरूप होना चाहिए।
उदाहरण
1. मोहन की शादी सीमा से करने के लिए मोहन के पिता ने सीमा के पिता से 10 लाख रुपए दहेज,कार तथा घर का सामान मांगा। मोहन के पिता ने दहेज मांगने का अपराध किया।
2. दूल्हे के पिता ने दुल्हन के पिता के दहेज लेकर विवाह कर दिया| लड़के के पिता ने दहेज लेने का अपराध किया।
सजा का प्रावधान
दहेज मांगने के अपराध का दंड 2 साल तक का कारावास तथा 10 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
दहेज लेने या देने या लेने-देने के लिए उकसाने के अपराध का दंड कम से कम 5 वर्ष तक कारावास और कम से कम 15 हजार रुपए या दहेज की रकम के बराबर का जुर्माना हो सकता है।
दहेज के कारण यदि किसी स्त्री को शादी के 7 वर्षों के अंदर जलाकर या शारीरिक कष्ट पहुंचा कर पति या पति के रिश्तेदारों द्वारा मार डाला जाता है तो यह 'दहेज' हत्या है। इसका दंड कम से कम 7 वर्ष का कारावास और अधिक से अधिक आजीवन कारावास हो सकता है।
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