अनुछेद 17 से जुड़े 15 महत्वपूर्ण सवाल
अस्पृश्यता उन्मूलन (अनुछेद 17)
प्रश्न० यह अनुछेद 17 क्या कहलाता है?
उ० यह अस्पृश्यता को समाप्त करता है।
प्रश्न० क्या संविधान में अस्पृश्यता की व्याख्या की गई है?
उ० नहीं।
प्रश्न ०संसद ने अस्पृश्यता उन्मूलन से संबंधित सबसे पहले कौन सा कानून बनाया?
उ० अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम 1995।
प्रश्न० इस कानून में कब संशोधन किया?
उ० 1976 मैं ।
प्रश्न० नए कानून का क्या नाम है?
उ० असैनिक अधिकारियों की सुरक्षा अधिनियम 1955।
प्रश्न० क्या अस्पृश्यता के आधार पर भेदभाव करना अपराध है?
उ० हाँ ।
प्रश्न० किसको अस्पृश्यता से संबंधित अपराध कहा जाता है?
उ० किसी व्यक्ति को अस्पताल, शैक्षणिक स्थान, डिस्पेंसरी आदि में आने से रोक लगा दी जाए। किसी सार्वजनिक पूजा स्थल पर पूजा करने पर पाबंदी लगा दी जाए। किसी भी सार्वजनिक स्थल जैसे दुकान, होटल, पानी का नल, टैंक, सड़क, शमशान, खेलने का मैदान आदि के इस्तेमाल पर रोक लगा देना।
प्रश्न० 1976 के कानून में अपराध क्या है?
उ० किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति का छुआछूत के आधार पर अपमान करना। छुआछूत को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देना। छुआछूत को धार्मिक ऐतिहासिक दार्शनिक आधार पर सही ठहराना।
प्रश्न० छुआछूत के अपराध के लिए सजा पाए हुए व्यक्ति को केंद्र तथा राज्य विधानसभाओं के चुनाव के लिए आयोग घोषित किया जा सकता?
उ० जी हाँ।
प्रश्न० यदि किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति के साथ इस आधार पर भेदभाव या अयोग्य घोषित किया जाए तो क्या न्यायालय यह मान लेती है(अन्यथा इसके विपरीत साबित किया जाए) कि यह छुआछूत के कारण किया गया है?
उ० जी हाँ।
प्रश्न० क्या यह राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह छुआछूत के अपराध का निवारण करें?
उ० जी हाँ।
प्रश्न० क्या अनुच्छेद 15(2) छुआछूत को समाप्त करने में सहायक है ?
उ० जी हां, अनुच्छेद 15 (2) के अनुसार छुआछूत के आधार पर किसी व्यक्ति को सार्वजनिक स्थल पर जाने से नहीं रोका जा सकता है हर व्यक्ति को सरकारी या सरकार की सहायता से बनी हुई किसी भी दुकान,सड़क,कुएं,घाट,होटल,आदि जाने का पूरा अधिकार है।
प्रश्न० क्या सरकारी नौकर की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह छुआछूत की घटनाओं की जांच करें ?
उ० जी हां।
प्रश्न० यदि कोई सरकारी नौकर जानबूझकर इस कानून के अंतर्गत छुआछूत के अपराध की जांच नहीं करता है तो क्या वह इस अपराध को इस कानून के अनुसार बढ़ावा देता है?
उ० जी हां।
प्रश्न० कानून में सजा का क्या प्रावधान है?
उ० कानून में छह माह की सजा एवं ₹500 जुर्माना हो सकता है और बार-बार अपराध करने पर 1 से 2 वर्ष तक की सजा हो सकती।
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