सार्वजनिक नियुक्तिओं के बारे में समान अवसर
प्रश्न० यह अनुच्छेद16 (1) क्या गारंटी प्रदान करता है?
उ० सभी नागरिकों के लिए सरकारी दफ्तरों में रोजगार एवं नियुक्त किया के समान अवसर की गारंटी प्रदान करता है।
प्रश्न० अनुच्छेद16 (1) एवं अनुच्छेद16 (2) मैं क्या लिखा है ?
उ०. यह अनुच्छेद सबके लिए सामान्य नियम की बात करते हैं। किसी भी नागरिक के साथ लिंग जाति वर्ग वर्ष जन्म स्थल के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा ।
प्रश्न० अनुच्छेद1 (3), (4) '(4d) एव (5) सामान्य नियम के अपवाद है?
उ० हाँ ।
प्रश्न० अनुच्छेद16 (3) संसद को क्या शक्तियां प्रदान करता है?
उ० यह संसद को शक्ति देता है कि वह कानून बना सकती है जहां पर रिहाइश राज्य में नौकरी का आधार बन सकता है।
प्रश्न ०अनुच्छेद16 (4) (क) क्या है
उत्तर० राज्य को या छुट है कि यदि उसे जरूरी लगता है तो वह अनुसूचित जाति व जनजाति की नौकरियों में प्रोन्नति में स्थान आरक्षण कर सकता है या उप धारा 1995 में 77 मैं संशोधन के द्वारा संविधान में जोड़ी गई है।
प्रश्न ०अनुच्छेद 15 तथा 16 में क्या अंतर है?
उ० अनुच्छेद 16 केवल रोजगार तथा नियुक्तियों मैं भेदभाव को हटाने की बात करता है परंतु अनुच्छेद 15 उन सभी आम स्थितियों की बात करता है जो अनुच्छेद 16 के अंतर्गत नहीं आते हैं।
प्रश्न ०क्या अनुच्छेद 16 राज्य को सरकारी पद में नियुक्तियो के लिए आवश्यक योग्यताएं तथा चयन परीक्षाओं को लेने से रुकता है?
उ० नहीं निर्धारित योग बताएं मानसिक श्रैष्टतऻ के अतिरिक्त शारीरिक तंदुरुस्ती अनुशासन पालन नैतिकता तथा राष्ट्र भक्त को भी योगिता का आधार बनाया जा सकता है।
प्रश्न० अनुच्छेद16(1) मैं रोजगार के सामान अवसर से क्या तात्पर्य है?
उ० इसका मतलब है सामान्य वर्ग के नौकरियों के लिए जो समानता है वह विभिन्न स्वतंत्र वर्ग के नौकरियों के साथ नहीं है।
प्रश्न ०क्या अनुच्छेद 16 सरकारी नौकरियों में विभिन्न ग्रेड बनाने से रोकता है?
उ० नहीं ।
प्रश्न ०क्या सभी रोजगार तथा परिस्थितियों में महिला और पुरुष को समान माना जाएगा?
उ० नहीं रोजगार के प्रकृति लिंग की संवेदनशीलता लिंग की अयोग्यता जैन पर असर डालते हैं। परंतु जहां जरूरी है वहीं भेदभाव किया जाएगा नहीं तो समानता का नियम लागू रहेगा( सी बी मुथमा बनाम भारत संघ
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