Section 96 CrPC
Section 96 CrPC in Hindi and English
Section 96 of CrPC 1973 :- 96. Application to High Court to set aside declaration of forfeiture -- (1) Any person having any interest in any newspaper, book or other document, in respect of which a declaration of forfeiture has been made under section 95, may, within two months from the date of publication in the Official Gazette of such declaration, apply to the High Court to set aside such declaration on the ground that the issue of the newspaper, or the book or other document, in respect of which the declaration was made, did not contain any such matter as is referred to in sub-section (1) of section 95.
(2) Every such application shall, where the High Court consists of three or more Judges, be heard and determined by a Special Bench of the High Court composed of three Judges and where the High Court consists of less than three Judges, such Special Bench shall be composed of all the Judges of that High Court.
(3) On the hearing of any such application with reference to any newspaper, any copy of such newspaper may be given in evidence in aid of the proof of the nature or tendency of the words, signs or visible representations contained in such newspaper, in respect of which the declaration of forfeiture was made.
(4) The High Court shall, if it is not satisfied that the issue of the newspaper, or the book or other document, in respect of which the application has been made, contained any such matter as is referred to in sub-section (1) of section 95, set aside the declaration of forfeiture.
(5) Where there is a difference of opinion among the Judges forming the Special Bench, the decision shall be in accordance with the opinion of the majority of those Judges.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 96 of Criminal Procedure Code 1973:
Sri Baragur Ramachandrappa & Ors vs State Of Karnataka & Ors on 2 May, 2007
Mohammad Serajuddin vs R. C. Mishra on 24 November, 1961
Shreya Singhal vs U.O.I on 24 March, 2015
Wazir Chand vs The State Of Himachal on 22 April, 1954
M. P. Sharma And Others vs Satish Chandra, District on 15 March, 1954
Shyamlal Mohanlal vs State Of Gujarat on 14 December, 1964
M.P. Sharma And Ors. vs Satish Chandra, District on 15 March, 1954
State Of A.P vs V. Sarma Rao & Ors. Etc. Etc on 10 November, 2006
State Of Maharashtra & Ors vs Sangharaj Damodar Rupawate & Ors on 9 July, 2010
State Of Himachal Pradesh vs Shri Pirthi Chand And Anr on 30 November, 1995
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 96 का विवरण : - 96. समपहरण की घोषणा को अपास्त करने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन -- (1) किसी ऐसे समाचारपत्र, पुस्तक या अन्य दस्तावेज में, जिसके बारे में धारा 95 के अधीन समपहरण की घोषणा की गई है, कोई हित रखने वाला कोई व्यक्ति उस घोषणा के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से दो मास के अन्दर उस घोषणा को इस आधार पर अपास्त कराने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन कर सकता है कि समाचारपत्र के उस अंक या उस पुस्तक अथवा अन्य दस्तावेज में जिसके बारे में वह घोषणा की गई थी; कोई ऐसी बात अन्तर्विष्ट नहीं है जो धारा 95 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट है।
(2) जहाँ उच्च न्यायालय में तीन या अधिक न्यायाधीश है, वहाँ ऐसा प्रत्येक आवेदन उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों से बनी विशेष न्यायपीठ द्वारा सुना और अवधारित किया जाएगा और जहाँ उच्च न्यायालय में तीन से कम न्यायाधीश हैं, वहाँ ऐसी विशेष न्यायपीठ में उस उच्च न्यायालय के सब न्यायाधीश होंगे।
(3) किसी समाचारपत्र के संबंध में ऐसे किसी आवेदन की सुनवाई में, उस समाचार पत्र में, जिसकी बाबत समपहरण की घोषणा की गई थी, अन्तर्विष्ट शब्दों, चिन्हों या दृश्यरूपणों की प्रकृति या प्रवृत्ति के सबूत में सहायता के लिए उस समाचार-पत्र की कोई प्रति साक्ष्य में दी जा सकती है।
(4) यदि उच्च न्यायालय का इस बारे में समाधान नहीं होता है कि समाचारपत्र के उस अंक में या उस पुस्तक या अन्य दस्तावेज में, जिसके बारे में वह आवेदन किया गया है, कोई ऐसी बात अन्तर्विष्ट है जो धारा 95 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट है, तो वह समपहरण की घोषणा को अपास्त कर देगा।
(5) जहाँ उन न्यायाधीशों में, जिनसे विशेष न्यायपीठ बनी है, मतभेद है वहाँ विनिश्चय उन न्ययाधीशों की बहुसंख्या की राय के अनुसार होगा।
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