Section 109 IPC in Hindi
Section 109 IPC in Hindi and English
Section 109 of IPC 1860:- Punishment of abetment if the act abetted is committed in consequence and where no express provision is made for its punishment -
Whoever abets any offence shall, if the act abetted is committed in consequence of the abetment, and no express provision is made by this Code for the punishment of such abetment, be punished with the punishment provided for the offence.
Explanation - An act or offence is said to be committed in consequence of abetment, when it is committed in consequence of the instigation, or in pursuance of the conspiracy, or with the aid which constitutes the abetment.
Illustrations -
(a) A offers a bribe to B, a public servant, as a reward for showing A some favour in the exercise of B's official functions. B accepts the bribe. A has abetted the offence defined in section 161.
(b) A instigates B to give false evidence. B, in consequence of the instigation, commits that offence. A is guilty of abetting that offence, and is liable to the same punishment as B.
(c) A and B conspire to poison Z. A in pursuance of the conspiracy, procures the poison and delivers it to B in order that he may administer it to Z. B, in pursuance of the conspiracy, administers the poison to Z in A's absence and thereby causes Z's death. Here B is guilty of murder. A is guilty of abetting that offence by conspiracy, and is liable to the punishment for murder.
Supreme Court of India Important Judgments And Case Law Related to Section 109 of Indian Penal Code 1860:
Somasundaram @ Somu vs State Rep.By Dy.Comm.Of Police on 28 September, 2016
Somasundaram @ Somu vs The State Rep. By The Deputy on 3 June, 2020
Sohan Lal @ Sohan Singh & Ors vs State Of Punjab on 14 October, 2003
Kulwant Singh @ Kulbansh Singh vs State Of Bihar on 21 June, 2007
Anand Mohan vs State Of Bihar on 10 July, 2012
Babu @ Balasubramaniam & Anr vs State Of Tamil Nadu on 2 July, 2013
State Of Kerala vs A. Pareed Pillai And Anr. on 28 April, 1972
Chandrawati vs Ramji Tiwari & Ors on 14 January, 2010
P.B.Desai vs State Of Maharashtra & Anr on 13 September, 2013
Baijnath Gupta And Others vs The State Of Madhya Pradesh on 7 May, 1965
आईपीसी, 1860 (भारतीय दंड संहिता) की धारा 109 का विवरण - दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरूप किया जाए, और जहां कि उसके दण्ड के लिए कोई अभिव्यक्त उपबंध नहीं है -
जो कोई किसी अपराध का दुष्प्रेरण करता है, यदि दुष्प्रेरित कार्य दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप किया जाता है, और ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के लिए इस संहिता द्वारा कोई अभिव्यक्त उपबंध नहीं किया गया है, तो वह उस दण्ड से दण्डित किया जाएगा, जो उस अपराध के लिए उपबंधित है।
स्पष्टीकरण - कोई कार्य या अपराध दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप किया गया तब कहा जाता है, जब वह उस उकसाहट के परिणामस्वरूप या उस षड़यंत्र के अनुसरण में या उस सहायता से किया जाता है, जिससे दुष्प्रेरण गठित होता है।
दृष्टांत -
(क) ख को, जो एक लोक-सेवक, है ख के पदीय कृत्यों के प्रयोग में क पर कुछ अनुग्रह दिखाने के लिए इनाम के रूप में क रिश्वत की प्रस्थापना करता है। ख वह रिश्वत प्रतिगृहीत कर लेता है। क ने धारा 161 में परिभाषित अपराध का दुष्प्रेरण किया है।
(ख) ख को मिथ्या साक्ष्य देने के लिए क उकसाता है। ख उस उकसाहट के परिणामस्वरूप, वह अपराध करता है। क उस अपराध के दुष्प्रेरण का दोषी है, और उसी दण्ड से दण्डनीय है जिससे ख है।
(ग) य को विष देने का षड़यंत्र क और ख रचते हैं। क उस षड़यंत्र के अनुसरण में विष उपाप्त करता है और उसे ख को इसलिए परिदत्त करता है कि वह उसे य को दे। ख उस षड़यंत्र के अनुसरण में वह विष क की अनुपस्थिति में य को देता है और उसके द्वारा य की मृत्युकारित कर देता है। यहां ख, हत्या का दोषी है। क षड़यंत्र द्वारा उस अपराध के दुष्प्रेरण का दोषी है, और वह हत्या के लिए दण्ड से दण्डनीय है।
To download this dhara of IPC in pdf format use chrome web browser and use keys [Ctrl + P] and save as pdf.
Comments
Post a Comment