Salient Features of Indian Constitution in Hindi | भारतीय संविधान के प्रमुख लक्षण क्या है?

Salient Features of Indian Constitution in Hindi
भारतीय संविधान के प्रमुख लक्षण क्या है? 
संविधान के प्रमुख या स्पष्ट दिखाई देने वाले लक्षण संविधान की वे विशेष बातें होती हैं जिससे उसकी अन्य संविधानों से भिन्नता प्रकट होती है| प्रमुख लक्षण का अर्थ आधारित लक्षण नहीं होता | आधारिक लक्षण संविधान के वे उपबंध है जिनका संशोधन नहीं किया जा सकता या जिन्हें नष्ट नहीं किया जा सकता यह सिद्धांत केसवानंद भारती में प्रतिपादित किया गया था और इसका अनुसरण इसके पश्चात अनेक मामलों में किया गया|


संविधान के विद्यार्थी को सबसे पहले जो दिखाई पड़ता है वह है संविधान की विशाल काया इसकी तुलना में दूसरे संविधान छोटी सी पुस्तिका दिखाई पड़ते हैं| अमेरिकी संविधान में 5000 से कम शब्द है| कनाडा का जो संविधान 1982 में बना उसकी शब्द संख्या 6500 से भी कम है| हमारे संविधान के इतने विशाल होने के कारण निम्नलिखित है|
1 इसमें राज्य के प्रशासन से संबंधित उपबंध है| अमेरिकी संविधान इससे भिन्न है वहां राज्यों ने अपने अपने संविधान अलग से बनाएं| हमारे संविधान में कनाडा का अनुसरण किया गया| हमारे संविधान में संघ और सभी राज्यों के विधान है|
2 संविधान में प्रशासनिक मामलों के बारे में विस्तार से उपबंध है| संविधान निर्माताओं की इच्छा थी कि यह एक विस्तार दस्तावेज हो और उनके सामने भारत शासन अधिनियम 1935 का दृष्टांत था| इसमें न्यायपालिका ,लोक सेवा आयोग, निर्वाचन आयोग आदि के बारे में विस्तृत उपबंध रखे गए थे| डॉक्टर अंबेडकर ने इस प्रशासनिक बातों को सम्मिलित किए जाने को इस आधार पर उचित ठहराया था कि दुर भाव से काम करने वाले व्यक्ति संविधान को छद्म रूप से नष्ट ना कर सके|
3 भारत शासन अधिनियम 1935 के अधिकांश उपबंध यथावत अंगीकार कर लिए गए| 1935 का अधिनियम एक बहुत लंबा दस्तावेज था| उसे आदर्श मानकर उसका बहुत बड़ा भाग संविधान में समाविष्ट कर लिया गया| इसे संविधान की लंबाई बढ़ना स्वाभाविक था| डॉक्टर अंबेडकर ने ऐसा करने के पक्ष में यह दलित भी भारत के लोग विद्यमान प्रणाली से परिचित थे
4 भारत की विशालता और समस्याओं की विविधता के कारण जन्मी  समस्याओं का समाधान खोजना आवश्यक था| भारत की इन विशिष्ट समस्याओं के लिए जो उपबंध बनाए गए उनके उदाहरण है- भाग 16 जो अनुसूचित जाति और जनजाति तथा पिछड़े वर्ग से संबंधित है|
भाग 17 जो राजभाषा के बारे में है| पांचवी और छठी अनुसूचियां जो अनुसूचित क्षेत्र और जनजातियों से संबंधित है|
5 संविधान के प्रारंभ होने के पश्चात नागालैंड ,असम ,मणिपुर ,आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, सिक्किम आदि की प्रादेशिक मांगों को देखते हुए बाद के वर्षों में अनुच्छेद 371 क से लेकर 371झ अंतविश्व किए गए|
ख. संविधान में दो राजतंत्र है किंतु नागरिकता इकहरी है| यह दो राजतंत्र है- संघ और राज्य किंतु राज्य की कोई नागरिकता नहीं है केवल भारत की नागरिकता है| अमेरिका के संविधान में दोहरी नागरिकता है| अमेरिका की नागरिकता और राज्य की नागरिकता| भारत में प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार है वह चाहे जहां निवास करें|
ग. हमारे संविधान में कुछ संशोधन ऐसे हुए हैं जिनसे संविधान की तात्विक दृष्टि से पुनः रचना हो गई है इनमें विशेष उल्लेखनीय है 7 वे 42 वें  73 वें और 74 वें संशोधन| अंतिम 2 संशोधन से भाग 9 और 9 क जोड़े गए हैं| जो पंचायत और नगरपालिका से संबंधित है| इस प्रकार के तीसरे स्तर के शासन के बारे में उपबंध किया गया है जो किसी और संविधान में नहीं मिलता|
घ साधारणतया परिसंघ संविधान नमनीय नहीं होते| अर्थात उनकी संशोधन की प्रक्रिया इतनी जटिल होती है कि संविधानिक उपबंधों को परिवर्तित या उपांतरित करना कठिन होता है| हमारा संविधान अनेक प्रकार से इस कठिनाई को कम करता है|
(क) कुछ उपबंधों को  साधारण बहुमत से परिवर्तित या प्रतिस्थापित किया जा सकता है| वैसे ही बहुमत और प्रक्रिया से जिससे सामान्य विधान बनाया जाता है| उदाहरण - अनुच्छेद 3( किसी राज्य के नाम और सीमा में परिवर्तन, नए राज्य की रचना, राज्य का क्षेत्र - या बढ़ाना आदि) अनुच्छेद 169( राज्य में विधान परिषद ओं का उत्सादन या सृजन), 239क कुछ संग्राम छात्रों के लिए विधान मंडलों का सृजन, अनुच्छेद 348 ( उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय की भाषा) , दूसरी, पांचवी और छठी अनुसूची|
(ख) कुछ उपबंधों में  परिवर्तन के लिए संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत की आवश्यकता है| अर्थात उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो तिहाई तथा सदन की कुल सदस्य संख्या का बहुमत|
(ग) यदि संशोधन से अनुच्छेद 54, 55,73 ,162 ,241 या भाग 5 के अध्याय 4,भाग 6 के अध्याय 5,भाग 9 के अध्याय 1,आदि में परिवर्तन किया जाता है तो संशोधन के लिए बहुमत के अतिरिक्त राज्यों के विधान मंडलों के समर्थन की अपेक्षा होती है| इसके लिए 1/2 विधान मंडलों का अनुसमर्थन पर्याप्त है| अमेरिका में 3/4 राजू द्वारा अनुसमर्थन आवश्यक है| इस प्रकार संविधान की मूल पाठ में परिवर्तन करने के लिए विभिन्न विधियां वृत्त की गई है जिससे संविधान का सरलता से अनुकूलन किया जा सके|
(घ) संविधान में अनेक स्थानों पर कुछ आधारभूत सिद्धांत अधिकथित यह गए हैं और संसद को यह शक्ति प्रदान की गई है कि वह विद्यमान उपबंधों  के स्थान पर दूसरे उपबंध रख दे या विधान बनाकर उनकी अनुभूति करें| उदाहरण के लिए-
1 भाग 2 में या अधिकथित किया गया है कि किस प्रकार संविधान के प्रारंभ में नागरिकता अजीत की जाएगी| नागरिकता की विधि बनाने का अधिकार संसद को दिया गया है| इसीलिए कल के 11 के आती है इस अधिकार का प्रयोग कर संसद में नागरिकता अधिनियम 1955 बनाया|
(2) अनुच्छेद 22 में निवारक निरोध के विरुद्ध कुछ उपाय किए गए हैं| किंतु साथ ही संसद को यह शक्ति दी गई है कि वह विधि द्वारा वे परिस्थितियां विहित करे  जिंदगी यदि किसी व्यक्ति को निरुद्ध किया जा सकता है वह अवधि तय करें जिसके लिए अनिरुद्ध किया जा सकता है और इससे जुड़े कुछ अन्य मामलों के बारे में विधान बनाएं|
(3) अनुच्छेद 17 के अधीन अस्पृश्यता का अंत किया गया और उसे प्रतिबंधित किया गया| अनुच्छेद 23 द्वारा बंधुआ मजदूरी प्रतिबंधित किया गया| संघ और राज्य दोनों को यह प्राधिकार है कि वह अस्पृश्यता और बंधित श्रम को दंडनीय अपराध घोषित कर दे| संसद ने सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 और बंधित श्रम पद्धति अधिनियम 1976 अधिनियमित किया| लक्ष्मी यह दो अधिनियम इस बात के उदाहरण है कि संविधान के उपबंधों की अनुभूति के लिए अधिनियम बनाए जाते हैं|
(4) राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित आधारित उपबंध संविधान में दिए गए हैं| किंतु अनुच्छेद 71(3) के अधीन संसद ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम 1952 अधिनियमित किया है जिसमें निर्वाचन की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से उपबंध है| 
इस तरीके से आवश्यक परिवर्तन सुविधानुसार किए जा सकते हैं संविधान में संशोधन की आवश्यकता नहीं होती|
(ड.) कुछ अनुच्छेद संक्रमण कालीन या प्रायोगिक है और तब तक परिवर्तन में बने रहेंगे जब तक संसद उस विषय पर विधान नहीं बना देती| इसके उदाहरण है अनुच्छेद 285( संघ की संपत्ति को राज्य के कराधान से छूट) और अनुच्छेद 300 ( भारत सरकार के विरुद्ध स्वाद और  कार्यवाहियां) |
संविधान में परिवर्तन करने के लिए अनेक प्रकार की पद्धतियों को स्थान देना बुद्धिमत्ता पूर्ण और व्यावहारिक है|

ड. परिसंघ संविधान में संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन होता है और इस बात का ध्यान रखा जाता है कि अतिक्रमण ना होने पाए| कुछ परिस्थितियों में या चीन की दीवार व्यवहारिक जीवन में कठिनाइयां उत्पन्न कर देती है| इससे बचने के लिए संविधान में निम्नलिखित उपाय किए गए हैं|
1 समवर्ती विषयों की एक लंबी सूची बनाई गई है|
2 या उपबंध किया गया है कि कुछ उपबंधों की संसद द्वारा परिवर्तन किया जा सकता है|
3 कुछ परिस्थितियों में संसद राज्य के अधीन आने वाले विषयों पर विधान बना सकती है| जैसे
(क) अंतर्राष्ट्रीय करारों को प्रभावी करने के लिए  अनुच्छेद 253
(ख) राज्यों की सहमति से अनुच्छेद 252
(ग) आपात के दौरान अनुच्छेद 250
(घ) राष्ट्रीय हित में जब राज्य सभा उपस्थित और मतदान करने वाले 2/3 सदस्यों के बहुमत से संकल्प पारित कर दे अनुच्छेद 248

च. कुछ संविधान इस प्रकार बने होते हैं कि आपात की स्थिति में भी वे अपनी प्रकृति का त्याग नहीं कर सकते| हमारे संविधान के भीतर ही ऐसी यंत्र प्रणाली है कि जब राष्ट्र के समूह कोई विपत्ति आ सकती है तो संविधान को इस प्रकार बदला जा सकता है कि वह ऐकिक प्रणाली जैसा हो जाए| अमेरिकी संविधान में ऐसा परिवर्तन संभव नहीं है| किंतु द्वितीय विश्व युद्ध के समय वहां की न्यायपालिका ने प्रतिरक्षा शक्ति का व्यापक निर्वाचन करके संघ को शक्तिमान बनाया|

छ. परिसंघ में राज्य और संघ की न्यायपालिका अलग-अलग हो सकती है| इसी प्रकार विभिन्न राज्यों में सिविल और दंडित विधियां भी अलग-अलग हो सकते हैं| इन विधियों का शासन करने वाले व्यक्ति भी किसी विशेष राज्य के कर्मचारी को सकते है| अमेरिका में ऐसा ही है किंतु हमारे संविधान के अधीन
क.  एक ही न्यायपालिका है|
ख. सभी राज्यों में सिविल और दंड प्रक्रिया आधारित रूप से एक ही है|
ग. भारतीय प्रशासनिक सेवा भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा संघ और राज्यों के लिए सामान्य है| आवश्यकता पड़ने पर इसी प्रकार की अन्य सेवाओं का सृजन किया जा सकता है|

ज. परिसंघ संविधान में संघ और राज्य के संविधान हो सकते हैं किंतु हमारा संविधान अनूठा है| इसमें पंचायत और नगरपालिका के संविधान और शक्तियां भी दी गई हैं| पता इसमें तीन स्तर की सरकारें हैं|

झ. संविधान के द्वारा लोगों को कुछ अधिकार प्रदान किए गए हैं जिन्हें मूल अधिकार कहा गया है जैसे समानता का अधिकार, वाक स्वतंत्रता का अधिकार, प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार| इन अधिकारों पर राज्य ऐसे निबंधन लगा सकता है जो अनुज्ञा हो| अधिकारों को प्रवृत्त करने के लिए उच्चतम न्यायालय में अभ्यावेदन करने का अधिकार प्रत्याभूत है| हमारे संविधान में कुछ अधिकार है जो किसी अन्य संविधान में नहीं है जैसे अस्पृश्यता , बाल श्रम| हमारे संविधान में मूल अधिकारों की मर्यादाएं और अपवाद विस्तार से बताए गए हैं|

ञ. संविधान में कुछ ऐसे तत्व वर्णित है जिन पर न्यायालय निर्णय नहीं दे सकते या जो न्यायालय के माध्यम से प्रवृत्त नहीं कराए जा सकते किंतु जिन्हें देश के शासन के लिए मौलिक समझा जाता है| संविधान निर्माताओं की मान्यता थी कि इनको संविधान में सम्मिलित करने से भविष्य की सभी सरकारों को चाहे वे किसी राजनीतिक दल की हो यह समरण रहेगा  कि उन्हें इन नीतियों को लागू करना है| इससे अंतर नहीं पड़ता कि वह प्रवृत्त नहीं कराई जा सकती|

ट. इंग्लैंड में संसद प्रभुत्व संपन्न है और न्यायालयों को संसद के अधिनियम ओं की परीक्षा करने और उनकी मान्यता पर विचार करने की कोई शक्ति नहीं है| अमेरिका की जनता को यह दुखद अनुभव हुआ था कि जनता द्वारा निर्वाचित संकाय ब्रिटेन की संसद अत्याचारी शासक के रूप में काम कर सकती है| अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने संविधान का निर्वाचन करते हुए यह घोषणा की कि संविधान सामान्य विधान से ऊंचे आसन पर स्थित है और जो विधि संविधान के अनुरूप नहीं है वह विधिमान्य नहीं हो सकती|

ठ. हमारे संविधान का एक ऐसा लक्षण है जिसके समानांतर कोई उपबंध किसी अन्य संविधान में नहीं मिलता| अनुच्छेद 31ख मैं एक पूछना है जिसके द्वारा इन सभी आधी नियमों को न्यायिक पुनर्विलोकन से पूर्ण उन्मुकि्त दी गई है| यदि मूल अधिकार का उल्लंघन होता है तो भी इन अधिनियम ओ को अविधिमान्य घोषित नहीं किया जा सकता|

ड - संविधान में न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग और स्वतंत्र रखने का प्रयत्न किया गया है इसके लिए नियुक्ति, स्थानांतरण ,वेतन आदि के बारे में उपयुक्त उपबंध दिए गए हैं| अधीनस्थ न्यायपालिका के विषय में भी ऐसे ही उपबंध हैं|

ढ. संविधान में संसदीय प्रणाली की व्यवस्था है| इस प्रणाली के अनुसार यद्यपि राष्ट्रपति निर्वाचित होता है और राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है किंतु वह राष्ट्र पर शासन नहीं करता| वह राज्य का अधिपति होता है जबकि प्रधानमंत्री सरकार का अध्यक्ष होता है सभी मंत्री संसद के सदस्य होते हैं| कोई भी व्यक्ति जो संसद का सदस्य नहीं है केवल 6 माह की अवधि तक ही मंत्री रह सकता है| मंत्री परिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदाई होती है| दूसरे शब्दों में  वे तभी तक पद धारण करते हैं जब तक उन्हें लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त हो| लोकसभा का विश्वास खोने पर उन्हें त्यागपत्र देना पड़ता है|

ण. संविधान को दो मुख्य वर्गों में बांटा जाता है ऐकिक और परिसंघीय| ऐकिक  प्रणाली में एक केंद्रीय शासन तंत्र होता है और कोई दूसरा शासन तंत्र ऐसा नहीं होता जो उसकी शक्तियों में हिस्सा बटाए| परिसंघीय संविधान में दो शासन केंद्र होते हैं जो एक ही समय में अपने अपने क्षेत्र में शासन करते हैं| अपने क्षेत्र में उन्हें संविधान के अधीन प्रभुता होती है| हमारे संविधान में एक संघ और 28 राज्य बनाए गए हैं जिनको शक्तियां और कृत्य सौंपे गए हैं| इस दृष्टि से यह अमेरिकी संविधान से समानता रखता है|

त. उद्देशिका में यह घोषणा की गई है कि भारत गणराज्य है| गणराज्य में कोई आनुवंशिक शासक नहीं होता और राज्य की सभी प्राधिकारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित होते हैं|

थ. संविधान में कुछ बंद रखकर अल्पसंख्यकों के लिए रक्षक उपाय किए गए हैं| इसके लिए मूल अधिकारों की सूची में धार्मिक स्वतंत्रता और संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार रखे गए हैं| समता खंड अनुच्छेद 14 अधिनियम करने के पश्चात ऐसे रक्षोपाय रखने के लिए कोई विधिक आवश्यकता नहीं थी| किंतु संविधान के रचयिता ओने अभिव्यक्त रूप से यह अधिकार प्रदान किए| यदि अधिकार अनुच्छेद 14 से स्वता निश्चित होते हैं|

द. संविधान में न्यायपालिका को सीमित सर्वोच्चता दी थी| इसकी परी सीमाएं अनुच्छेद 13 में बांधी गई है| लिखित संविधान की सीमाओं के भीतर रहते हुए विधानमंडल को यथासंभव सर्वोच्चता दी गई है| अनुच्छेद 21 में निर्वाचन करते हुए उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट किया था कि संविधान में कोई सम्यक प्रक्रिया खंड नहीं है इस कारण से उसे न्यायिक पुनर्विलोकन की इतनी व्यापक शक्तियां नहीं है जितनी कि अमेरिका के उच्चतम न्यायालय को है| पिंटू 1978 मैं मेनका गांधी ने उच्चतम न्यायालय ने अनुच्छेद 21 के सामने प्रक्रिया खोज निकाली और स्वयं को वह शब्द शक्तियां प्रदान कर दी जो अमेरिका के उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रयोग की जाती हैं| यही नहीं न्यायालय ने संविधान के संशोधन को भी सुनने घोषित करने की शक्तियां स्वयं में निहित कर दी|

ध. विधान मंडलों में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए स्थान आरक्षित हैं| राजेश भाट के लिए स्वतंत्र है कि वह सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए लोगों की उन्नति के लिए और स्त्रियों और बालकों के लिए विशेष को बंद करें| लोक नियोजन में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए पदों का आरक्षण होगा|

न. विधानमंडल के निर्वाचन व्यस्त मताधिकार के आधार पर होते हैं| दूसरे शब्दों में प्रत्येक नागरिक को 18 वर्ष से अधिक आयु का है मतदाता के रूप में रजिस्टर किए जाने का अधिकार है| 1988 तक 21 वर्ष की आयु का होना आवश्यक था|

प. स्वतंत्रता के समय भारत में लगभग 600 रियासतें थी और इनकी जनसंख्या 9 करोड़ थी| कुछ रियासतों को छोड़कर शेष में निर्वाचित विधानमंडल और लोकतंत्र नहीं था| भारत शासन अधिनियम एक प्रकार से लोकतंत्र और राजतंत्र के बीच संधि पत्र था| जब देसी रियासतों ने संविधान सभा में प्रवेश किया तब यह माना जाता था कि इन रियासतों का संविधान भारत के संविधान से अलग होगा| संविधान में लगभग 600 रियासतों का एकीकरण किया और शताब्दियों से चले आए राजतंत्र को समाप्त कर दिया| शासकों ने स्वेच्छा से अपने विशेष अधिकार त्याग दिए है| संविधान इस रक्तहीन क्रांति का स्मारक है जिसके द्वारा 9 करोड़ जनता को भारत के नागरिक के रूप में लोकतांत्रिक अधिकार मिले|

फ. अमेरिका में अधिकार पत्र में नागरिकों और अन्य व्यक्तियों के अधिकार प्रत्याभूत किए गए| कोई भी अधिकार असीम नहीं हो सकता| अमेरिका के उच्चतम न्यायालय ने आवश्यकता के अनुसार धीरे-धीरे वे निबंधन परिभाषित किए हैं जो इन अधिकारों के प्रयोग पर लगाए जा सकते हैं| हमारे संविधान में अनुभव और इतिहास से लाभ उठाकर ले आधार इंगित किए गए हैं जिन पर मूल अधिकारों पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं| उदाहरण के लिए वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भारत की प्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, लोक व्यवस्था, शिष्टाचार, सदाचार ,न्यायालय ओमान आदि के हितों में सीमित किया जा सकता है| अमेरिका में न्यायालयों में पुलिस शक्ति, स्पर्श और वर्तमान संकट आदि सिद्धांतों का आविष्कार किया जिनके आधार पर मूल अधिकारों को सीमित किया जा सके|

ब. 1909 से विधान मंडलों में धर्म के आधार पर स्थान आरक्षित किए जाते थे| भारत शासन अधिनियम 1935 में स्थानों का वितरण मुस्लिम, ईसाई, सिख और आंगल भारतीयों के बीच किया गया| अंग्रेजों ने सांप्रदायिक निर्वाचन मंडल और आरक्षण का प्रयोग किस उद्देश्य से किया कि स्वस्थ और तू आधारित प्रजातंत्र जन्म न लेने पाए| संविधान में धर्म के आधार पर कोई आरक्षण नहीं है| सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व के लिए संविधान में कोई स्थान नहीं है|

भ. संविधान का एक और महत्वपूर्ण लक्ष्य यह है कि इसमें अनेक संविधानों के लक्षणों की नकल की गई है| जब इसकी आलोचना की गई तब संविधान निर्माताओं ने गर्व पूर्व  यह घोषणा की कि विश्व के सभी ज्ञात संविधानों का अध्ययन करके  इसकी रचना हुई है| विद्यमान संविधानों के सर्वोत्तम लक्षणों का संग्रह करके निर्माताओं ने हम पर उपकार किया है| यही नहीं उन्होंने दूसरों को जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा उनका ध्यान रखते हुए उचित परिवर्तन भी किए | हमारे संविधान के रचयिताओं यह भी ध्यान में रखा कि जिन लक्षणों का अनुकरण किया जा रहा है उसमें हमारे देश की परिस्थितियों और आवश्यकताओं को देखते हुए क्या परिवर्तन किया जाएं| संविधान में इधर उधर से लेकर थिगड़े नहीं लगाए गए यह एक सुंदर निर्माण है|
यह भी ध्यान रखने योग्य है कि अनेक संशोधन द्वारा मूलतः बनाए गए संविधान मे व्यापक परिवर्तन किए गए हैं|

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