Right to Equality - समता का अधिकार
अनुच्छेद 14 से 18 द्वारा संविधान प्रत्येक व्यक्ति को समता का अधिकार प्रदान करता है
(क) विधि के समक्ष समता अथवा विधियों के समान संरक्षण का अधिकार
अनुच्छेद 14 यह निश्चित करता है कि" भारत राजू क्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से अथवा विधियों के समान संरक्षण से राज्य द्वारा वंचित नहीं किया जाएगा"
एक है ' विधि के समक्ष समता' दूसरा है ' विधियों का समान संरक्षण' ' विधि के समक्ष समता' यह वाक्यांश लगभग सभी लिखित संविधान में पाया जाता है जो नागरिकों को मूल अधिकार प्रदान करते हैं मानव अधिकार घोषणा पत्र का अनुच्छेद साथ यह कहता है कि " विधि के समक्ष सभी समान है और बिना किसी भेदभाव के सभी विधि के संरक्षण के अधिकारी हैं"
'विधि के समक्ष समता' यह वाक्यांश ब्रिटिश संविधान से लिया गया है जिसे प्रोफेसर डायसी के अनुसार 'रूल ऑफ लॉ' कहते हैं इन दोनों वाक्यांशों का उद्देश्य भारतीय संविधान की प्रस्तावना में सिटी की समानता( equality of status) की स्थापना करता है
वैसे तो यदि देखा जाए तो दोनों वाक्यांशों में समानता है, किंतु जहां तक अर्थ का प्रश्न है, दोनों में कुछ अंतर है" विधि के समक्ष समता" यह एक नकारात्मक वाक्यांश है जिसका अर्थ है समान परिस्थितियों वाले व्यक्ति के साथ कानून द्वारा दिए गए विशेष अधिकारों तथा दिए गए कर्तव्य दोनों के मामले में समान व्यवहार किया जाएगा और प्रत्येक व्यक्ति देश के साधारण कानून के अधीन होगा
" विधि का समान संरक्षण" इस वाक्य का समानता का सकारात्मक रूप है समान परिस्थितियों वाले व्यक्ति के साथ समान व्यवहार करना जिसका तात्पर्य है अर्थात समान कानूनों को लागू करना किंतु यदि ध्यानपूर्वक देखा जाए तो दोनों वाक्यों का एक ही उद्देश्य है और वह है समान न्याय
स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल बनाम अनवर अली सरकार के मामले में मुख्य न्यायाधीश पतंजलि शास्त्री ने ठीक ही कहा है कि" विधि का समान संरक्षण" विधि के समक्ष समता का है उप सिद्धांत है क्योंकि उन परिस्थितियों की कल्पना करना कठिन है जब विधि के समान संरक्षण के अधिकार को रोके विधि के समक्ष समता के अधिकार को कायम रखा जा सकता है इस प्रकार दोनों ही शब्दों का अर्थ एक ही है सिद्धांता उन दोनों वाक्यों में अंतर हो सकता है लेकिन व्यवहारिक रूप में दोनों में कोई अंतर नहीं है
Easy do
ReplyDelete