Right to Equality and Natural Justice Principle in Indian Constitution in Hindi

Right to Equality and Natural Justice Principle in Indian Constitution - E P Royappa to Maneka Gandhi Case - A short journey 

समता का नया आयाम - नैसर्गिक न्याय - मनमानेपन के विरुद्ध संरक्षण
इ० पी०रोयप्पा बनाम तमिलनाडु राज्य के मामले में उच्चतम न्यायालय ने समता की पारंपरिक धारणा को जोकि युक्ति वर्गीकरण के सिद्धांत पर आधारित है मानने से अस्वीकार कर दिया है और एक नया दृष्टिकोण अपनाया है| यदि पति श्री भगवती ने बहुमत का निर्णय सुनाते हुए यह कहा है कि" समता एक गतिशील धारणा है जिसके अनेक रूप और आयाम है और इसे परंपरागत और सिद्धांत वाद की सीमाओं से नहीं बांधा जा सकता है| अनुच्छेद 14 राज्य की कार्यवाही यों में मनमाने पन को वर्जित करता है और समान व्यवहार की अपेक्षा करता है युक्तियुक्तका का सिद्धांत समता के सिद्धांत का एक आवश्यक तत्व है जो अनुच्छेद 14 में सर्वदा विद्यमान रहता है| वस्तुत: समता और मनमाना पर एक दूसरे के शत्रु हैं जहां कोई कार्य मनमाना किया जाएगा वहां और समानता अवश्य होगी और अनुच्छेद 14 का अतिक्रमण होगा|
मेनका गांधी बनाम भारत संघ के महत्वपूर्ण मामले में न्यायाधीश श्री भगवती न, इ० पी०रोयप्पा के मामले में प्रतिपादित समता के नूतन सिद्धांत की पुष्टि की और उसे निम्न शब्दों में पुनः दोहराया है-
" समता एक गतिशील अवधारणा है जिसके अनेक रूप और आयाम है और इसे परंपरागत और सिद्धांत वाद की सीमाओं से नहीं बांधा जा सकता है अनुच्छेद 14 राज्य की कार्यवाही ओं में मनमाने पन को वर्जित करता है और समान व्यवहार को सुनिश्चित करता है|

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