केहर सिंह बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया
केहर सिंह बनाम भारत संघ
केहर सिंह के मामले में उच्चतम न्यायालय ने अनुच्छेद 72 के अधीन राष्ट्रपति के समाधान की शक्ति के विस्तार पर पूर्ण रूप से विचार किया है इस मामले में इंदिरा गांधी की हत्या के मामले में मृत्युदंड दिए गए अभियुक्त केयर सिंह ने अनुच्छेद 72 के राष्ट्रपति को समाधान के लिए आवेदन दिया उसने परीक्षण न्यायालय में दिए मौखिक साक्ष्य का उद्धरण देते हुए यह कहा कि न्यायालय का निर्णय गलत था और वह निर्दोष है इसलिए समाधान का हकदार है उसने यह भी प्रार्थना की कि राष्ट्रपति उसके आवेदन पर विचार करते समय उसे सनमाइका अवसर अवश्य प्रदान करें राष्ट्रपति ने उसकी प्रार्थना को स्वीकार करते हुए उसके समाधान आवेदन को अस्वीकार करती राष्ट्रपति ने कहा कि वे उच्च न्यायालय के गुण अवगुण पर विचार नहीं कर सकते राष्ट्रपति के उक्त निर्णय के विरुद्ध प्रस्तुत विशेष इजाजत से अपील की याचिका उच्चतम न्यायालय में फाइल की गई उत्तम न्यायालय के 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 72 के अधीन राष्ट्रपति सकती है और मामले के मेरिट पर विचार कर सकता है न्यायालय का निर्णय चाहे जो भी हो राष्ट्रपति मामले का परीक्षण कर सकता है और यह निर्णय ले सकता है कि मामले में समाधान शक्ति का प्रयोग किया जाए या नहीं वह न्यायालय से भी निर्णय ले सकता है ऐसा करते समय निर्णय को संशोधित परिवर्तित और प्रतिष्ठित नहीं करता है यथावत रहता है सकती है यह नहीं है जैसा कि इंग्लैंड में है न्यायालय ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति अपनी समाधान की शक्ति का प्रयोग मंत्रिमंडल के परामर्श से ही करता है उत्तम न्यायालय राष्ट्रपति के समाधान के विस्तार का परीक्षण कर सकता है किंतु इसका प्रयोग कैसे किया जाए नहीं कर सकता राष्ट्रपति को अपने निर्णय के आधार बताने के लिए नहीं कहा जा सकता अनुच्छेद 72 के अधीन प्राप्त राष्ट्रपति की शक्ति बड़ी विशाल है और इसके प्रयोग के लिए किन मार्गदर्शक सिद्धांत करने की आवश्यकता नहीं है इसका प्रयोग हजारों प्रकार के मामलों में तथा विभिन्न परिस्थितियों में किया जा सकता है इसके पश्चात केहर सिंह ने उच्च न्यायालय में एक याचिका डाली जिसमें यह कहा कि क्योंकि के कान में 5 माह का हो गया था इसलिए उसके दंड को आजीवन कारावास में बदल दिया जाए उच्चतम न्यायालय के 5 न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 72 के अधीन समाधान के आवेदन को निपटाने में अलार्म को आजीवन कारावास में बदला जा सकता है किंतु प्रस्तुत मामले में 5 माह का विलंब नहीं था इसलिए इसे आजीवन कारावास में बदले जाने का कोई औचित्य नहीं ।
केहर सिंह बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया का केस
Good decision
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